नई दिल्ली। राजधानी की सीमाओं पर पिछले 31 दिन से धरना दे रहे लाखों किसानों ने सरकार के पत्र के जवाब में एक संक्षिप्त लेकिन दो टूक जवाब भेजा है। किसानों की यह जवाबी चिट्ठी सरकार के साथ अब तक की वार्ता में शामिल रहे चालीस किसान संगठनों की तरफ़ से भेजी गई है।

इस पत्र में किसानों ने सरकार पर अब तक हुई बातचीत के बारे में तथ्यों को छिपाने और इस तरह जनता को गुमराह करने की कोशिश करने का आरोप भी लगाया है। किसान संगठनों ने चिट्ठी में लिखा है कि हम शुरुआत से ही तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करने की माँग करते आ रहे हैं, फिर भी सरकार पूरे मसले को इस तरह पेश करती है जिससे लगता है कि पहले किसानों ने क़ानूनों में संशोधन की मांग की थी। किसानों ने सरकार से माँग की है कि वो इस तरह की ग़लतबयानी और पूरे सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करके किसान-विरोधी दुष्प्रचार करना बंद करे।

किसानों की इस चिट्ठी को आप यहाँ शुरू से अंत तक पढ़ सकते हैं, जिसमें उन्होंने एक बार फिर से बातचीत की पेशकश करने के साथ ही साथ वार्ता का चार सूत्रीय एजेंडा भी पेश किया है।

किसान संगठनों ने लिखा है कि अगर सरकार बात करना चाहती है तो 29 दिसंबर 2020 को 11बजे हम बातचीत के लिए आ सकते हैं। लेकिन शर्ते ये है कि

१. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की क्रियाविधि क्या होगी, सरकार बताए

२. राष्ट्रीय किसान आयोग द्वारा सुझाए गए एमएसपी की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करें

३. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के नाम पर किसान को दंडित करने का प्रावधान हटे

४ विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे में बदलाव हो