नई दिल्ली। भारत के पहले विश्व कप विजेता कप्तान कपिल देव ने कहा कि आधुनिक क्रिकेट में मुख्य कोच की भूमिका असल में खिलाड़ियों को कोचिंग देने से ज्यादा उन्हें मैनेज करने की होती है। उन्होंने यह टिप्पणी भारत के मौजूदा मुख्य कोच गौतम गंभीर की कार्यशैली को लेकर हो रही आलोचनाओं के बीच की।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 0-2 से टेस्ट सीरीज हार के बाद गौतम गंभीर को लगातार खिलाड़ियों के रोटेशन और पार्ट-टाइम गेंदबाजों पर निर्भरता के लिए आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय चैंबर ऑफ कॉमर्स के आईसीसी सेंटेनरी सेशन में कपिल देव ने कहा, 'आज कोच शब्द को गलत तरीके से समझा जाता है। गौतम गंभीर कोच नहीं हो सकते, वह टीम के मैनेजर हो सकते हैं। कोच वो होते हैं जो स्कूल या कॉलेज में सिखाते हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'आप किसी लेग स्पिनर या विकेटकीपर को कैसे कोच कर सकते हैं, जब वे पहले से उस कला में माहिर हैं? ऐसे में सबसे जरूरी काम मैनेजमेंट का होता है। एक मैनेजर खिलाड़ियों को भरोसा देता है, हौसला बढ़ाता है और उन्हें यह एहसास दिलाता है कि वे बेहतर कर सकते हैं।'
कपिल ने कप्तान और मैनेजर की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि खिलाड़ियों को मानसिक रूप से सहज महसूस कराना बेहद जरूरी है। उन्होंने आगे कहा, 'कप्तान या मैनेजर का काम टीम को आराम और आत्मविश्वास देना है। खासकर उन खिलाड़ियों को, जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।' अपने कप्तानी अनुभव को साझा करते हुए कपिल ने कहा, 'जो खिलाड़ी शतक बनाता है, उसके साथ मैं डिनर पर नहीं जाऊंगा। मैं उन लोगों के साथ वक्त बिताना पसंद करता हूं, जो संघर्ष कर रहे हों, ताकि उन्हें आत्मविश्वास मिले।'
कपिल देव ने यह भी कहा कि अगर सुनील गावस्कर आज के दौर में खेलते, तो वे टी20 क्रिकेट के भी सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज होते। उन्होंने कहा, 'जिन खिलाड़ियों का डिफेंस मजबूत होती है, उनके लिए आक्रमण करना आसान होता है। डिफेंस सबसे कठिन चीज है।'
कार्यक्रम में मौजूद पूर्व भारतीय महिला कप्तान मिताली राज ने भारत की हालिया घरेलू वैश्विक जीत को याद करते हुए कहा, 'ट्रॉफी पर ‘इंडिया’ लिखा देखना बहुत भावुक पल था। पहले हमेशा ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या न्यूजीलैंड का नाम होता था। घर में जीतना हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी।' उन्होंने कहा कि जब दर्शकों की जोरदार आवाज गूंजी, तभी उन्हें एहसास हुआ कि भारत सच में चैंपियन बन चुका है।