पणजी। गोवा में सियासी हलचल तेज हो गई है। राज्य के कला और संस्कृति मंत्री गोविंद गौड़े को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। यह फैसला तब लिया गया जब गौड़े ने अपनी ही सरकार पर भ्रष्टाचार आरोप लगाए थे, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया।

दरअसल, गोवा के कला एंव संस्कृति मंत्री गोविंद गौड़े ने करीब तीन सप्ताह पहले उन्होंने राज्य के आदिवासी कल्याण विभाग में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। ये विभाग मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के अधीन है। गौड़े ने बिना नाम लिए इस विभाग को संभालने वाले सीएम प्रमोद सावंत की काबिलियत पर भी सवाल उठाए थे।

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थिएटर अभिनेता से राजनेता बने गौड़े 53 साल के एक आदिवासी नेता हैं। वो प्रियोल विधानसभा सीट से विधायक हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि, 'टैक्सपेयर्स के पैसे का एक बड़ा हिस्सा आदिवासी कल्याण विभाग को दिया जाता है। अगर वो इस कार्यक्रम को अच्छे से आयोजित करने में असमर्थ हैं, तो ये प्रशासन पर नियंत्रण की कमी को दर्शाता है। मेरी राय में, आज प्रशासन कमजोर हो गया है। ठेकेदारों की फाइलें चुपके से श्रम शक्ति भवन की इमारत के रखी जाती हैं। उनसे कुछ लिया जाता है, फिर उनसे अपनी फाइलें जमा करने के लिए कहा जाता है।'

गौड़े के बयान के बाद, BJP के संगठन मंत्री बीएल संतोष ने गोवा का दौरा कर हालात का जायजा लिया था। प्रदेश अध्यक्ष दामू नाईक और सीएम प्रमोद सावंत ने उनको कार्रवाई की चेतावनी भी दी थी। पार्टी का कहना है कि गौड़े के बयान के बारे में पार्टी के आलाकमान को जानकारी दी गई थी और उनके निर्देशों के अनुसार ही कार्रवाई की गई है।

प्रदेश अध्यक्ष दामू नाईक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा है कि गौड़े को हटाने का फैसला सर्वसम्मति से लिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार, पार्टी और पार्टी के आलाकमान से चर्चा के बाद ही ये निर्णय लिया गया। नाईक ने कहा कि पार्टी में अनुशासन बनाकर रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट में गौड़े की जगह किसको शामिल किया जाएगा, इस पर जल्द ही फैसला होगा।

राज्य कैबिनेट से बाहर होने के बाद गोविंद गौड़े ने एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने लिखा है कि वंचित समुदायों के लिए आवाज उठाने के बदले मुझे ये इनाम दिया गया है। मेरी सरकार और पार्टी का आभार कि उन्होंने मुझे इस संघर्ष को जारी रखने के लिए आजाद कर दिया।

बहरहाल, यह घटनाक्रम गोवा की राजनीति में अस्थिरता के संकेत दे रहा है। जहां बीजेपी इसे अनुशासनात्मक कार्रवाई बता रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां इसे अंदरूनी कलह का नतीजा मान रही हैं। कांग्रेस ने कहा है कि गावड़े ने जो आरोप लगाए हैं, वे बीजेपी की कार्यशैली को उजागर करते हैं। फिलहाल गोविंद गावड़े ने अपने तेवर नरम नहीं किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे अपनी बात पर कायम हैं और जल्द ही जनता के सामने पूरी सच्चाई रखेंगे।