नई दिल्ली। थोड़ी देर पहले खबर आई है कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों से एक बार फिर बातचीत के लिए तैयार हो गई है। इस बारे में सरकार की तरफ से किसानों को एक चिट्ठी भी भेजी गई है। लेकिन सरकार ने कल की जगह परसों बातचीत करने का प्रस्ताव रखा है। किसानों ने अपनी तरफ से सरकार को 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे बातचीत करने का प्रस्ताव भेजा था। लेकिन सरकार ने कहा है कि वो 30 दिसंबर को दोपहर 2 बजे से बैठक करना चाहती है। किसानों को सरकार की तरफ़ से यह चिट्ठी कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल ने लिखी है। 

हम भी आपसे खुले मन से बातचीत करना चाहते हैं : सरकार 
कृषि विभाग ने अपने पत्र में किसान नेताओं के 26 दिसंबर को भेजे पत्र का जवाब देते हुए लिखा है कि भारत सरकार भी खुले और साफ़ नीयत के साथ सभी मुद्दों पर किसानों से विस्तृत चर्चा के लिए तैयार है। इससे पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि विभाग को पत्र लिखकर कहा था कि वे 29 दिसंबर सुबह 11 बजे सरकार से बातचीत करना चाहते हैं।

किसानों ने उस चिट्ठी में सरकार पर आरोप लगाया था कि वो जनता को किसान आंदोलन के बारे में  भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। किसान संगठनों ने सरकार के साथ हुई पिछली बैठकों के बारे में जनता से झूठ बोलने का  आरोप लगाते हुए कहा था कि किसान शुरू से ही कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अडिग हैं। उन्होंने कानूनों में संशोधन की मांग कभी नहीं की।

किसान नेताओं ने सरकार सामने चार सूत्री एजेंडा भी रखा था, जिसमें पहला मुद्दा कृषि कानूनों की वापसी और दूसरा एमएसपी की कानूनी गारंटी का था। इसके अलावा उन्होंने बिजली अध्यादेश में संशोधन तथा दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण नियंत्रण के लिए आयोग बनाने के लिए लाए गए अध्यादेश में संशोधन पर चर्चा की मांग भी रखी थी।

कृषि विभाग ने आज भेजे पत्र में लिखा है कि सरकार किसानों के उठाए सभी मुद्दों पर बातचीत करने को तैयार है। हालांकि चिट्ठी में किसान नेताओं के उन आरोपों पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, जिसमें उन्होंने सरकार पर पिछली बैठकों के बारे में जनता के बीच झूठ फैलाने का आरोप लगाया था। सरकार की तरफ से भेजी गई पूरी चिट्ठी आप यहां पढ़ सकते हैं।

यह पूरी चिट्ठी आप नीचे पढ़ सकते हैं।