नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसानों और मोदी सरकार के बीच गतिरोध बढ़ सकता है। सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बढ़ने की वजह कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा मृतक किसानों को लेकर दिया गया ताज़ा जवाब माना जा रहा है। कृषि मंत्री का कहना है कि मुआवजा देने का सवाल इसलिए पैदा नहीं होता क्योंकि सरकार के पास आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है। 

आंदोलन के दौरान शहीद होने वाले किसानों की संख्या और उनके परिवारों को आर्थिक सहायता देने के मसले पर सरकार की योजना को लेकर संसद में सवाल पूछा गया था। इसका कृषि मंत्री ने लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए कहा कि कृषि मंत्रालय के पास इस संबंध में कोई आंकड़ा नहीं है, इसलिए मुआवजा का प्रश्न नहीं उठता। 

दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा देना किसानों की प्रमुख मांगों में से एक है। ऐसे में सरकार के इस रुख से आंदोलन के और तेज होने की संभावना है। आंदोलनरत किसान लगातार सरकार से एमपीएस की गारंटी के कानून, आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा, जब्त किए गए ट्रैक्टरों और हजारों आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज किए गए मुकदमों की वापसी की मांग कर रहे हैं। 

केंद्र सरकार की ओर से संयुक्त किसान मोर्चा को एमएसपी पर गठित की जाने वाली समिति पर चर्चा के लिए पांच नामों को भेजने का प्रस्ताव भेजा गया है। जिसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा चार दिसंबर को बैठक करने वाली है। लेकिन इसी बीच कृषि मंत्री की ओर से दिया गया यह जवाब किसानों के आक्रोश को बढ़ा सकता है।