भोपाल। भारत अपनी उर्जा सुरक्षा रणनीति को पुख्ता करने के लिए नई संभावनाएं तलाश रहा है। इसी संदर्भ में भारत ने अमेरिका में अपने कच्चे तेल का भंडार बनाने की कोशिश शुरू की है। भारत को उम्मीद है कि इस व्यवस्था से किसी भी तरह की आपातकालीन सप्लाई में रुकावट का मुकाबला किया जा सकता है। दोनों देशों की दूसरी बार हुई मंत्रीस्तरीय वार्ता में रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी पर शुक्रवार को चर्चा हुई और MOU भी साइन किया गया।
रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार बनाने के लिए और भारत का तेल भंडार अमेरिका में स्थापित करने के लिए बातचीत अग्रिम चरण में है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह जानकारी दी है। प्रधान ने अमेरिका के ऊर्जा मंत्री डैन ब्राउलेट के साथ अमेरिका-भारत रणनीतिक ऊर्जा भागीदारी मंत्रिस्तरीय वर्चुअल बैठक की सह-अध्यक्षता की।
प्रधान ने फोन पर संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार पर सहयोग के लिए एमओयू किया है। हमारी अमेरिका से कच्चे तेल का भंडारण करने के लिए बातचीत भी अग्रिम चरण में है। इससे भारत का रणनीतिक भंडार बढ़ सकेगा।’’
एक सवाल के जवाब में प्रधान ने कहा कि रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार के क्षेत्र में सहयोग के लिए एमओयू अमेरिका के प्रस्ताव पर किया गया है। कोरोना वायरस के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बीच अमेरिका ने यह प्रस्ताव किया था।
वहीं अमेरिकी विदेश मंत्रालय के दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो की तरफ से कहा गया, “अमेरिका और भारत के बीच यह समझौता 21वीं शताब्दी और उससे भी आगे सतत ऊर्जा विकास में सहयोग करेगा। हमने ऊर्जा नवीनीकरण, स्मार्ट ग्रिड्स और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने के लिए एक दूसरे से हाथ मिलाया है। यह वर्तमान और भविष्य में हमारे नागरिकों को लाभ पहुंचाएगा।”