भारत में अक्सर गाय और उससे जुड़े उत्पाद चर्चा का विषय रहते हैं, कभी श्रद्धा का कारण बनकर तो कभी उपेक्षा का शिकार होकर। लेकिन अब वही गाय और उसका गोबर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत की बड़ी ताकत बनता जा रहा है। वर्ष 2024 में भारत ने लगभग 400 करोड़ रुपये मूल्य के गाय के गोबर और इससे बने उत्पादों का निर्यात किया है। खाड़ी देश, खासकर कुवैत, सऊदी अरब और यूएई, भारतीय गोबर के बड़े खरीदार बनकर उभरे हैं।

कुवैत में हुए एक शोध में यह सामने आया है कि यदि गाय के गोबर को पाउडर के रूप में इस्तेमाल किया जाए, तो खजूर की फसल की गुणवत्ता और पैदावार दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी होती है। इस शोध के बाद भारत से गोबर की मांग तेजी से बढ़ी है और भारत खजूर उगाने वाले देशों के लिए गोबर का प्रमुख निर्यातक बन चुका है।

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कुवैत ने हाल ही में खजूर की खेती में इस्तेमाल के लिए भारत से 192 मीट्रिक टन गोबर का ऑर्डर दिया है। फिलहाल भारतीय गोबर की कीमत 30 से 50 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी है, और विशेषज्ञों का मानना है कि अंतर्राष्ट्रीय मांग के चलते इसमें और भी वृद्धि होगी।

भारत में करीब 30 करोड़ मवेशी हैं, जिनसे हर दिन लगभग 30 मिलियन टन गोबर प्राप्त होता है। यही प्रचुर मात्रा इस निर्यात को नियमित रूप से बनाए रखने में सक्षम बना रही है। वर्ष 2023-24 में भारत ने कुल 400 करोड़ के गोबर और गोमूत्र आधारित उत्पाद बेचे, जिनमें से 125 करोड़ का शुद्ध गोबर, 173.57 करोड़ के जैविक उर्वरक और 88.02 करोड़ का कंपोस्ट मैन्‍योर शामिल रहा।

यह आश्चर्य की बात है कि जिसे कभी ग्रामीण भारत में एक मामूली उप-उत्पाद माना जाता था, वही अब जैविक खेती, प्राकृतिक कीटनाशकों और आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में उपयोग होकर ग्रामीण उद्यमिता और कृषि निर्यात को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहा है। भारत अब मसालों और तकनीक के साथ-साथ गाय के गोबर के जरिए भी वैश्विक बाजार में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है।