रांची। कहते हैं सीखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती। यही साबित करते हुए  झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ग्यारहवीं कक्षा में एडमिशन ले लिया है। महतो का कहना है कि वो पढ़ाई करते हुए शिक्षा की नीतियां बनाने में पूर्ण सक्षम हैं। यानी मंत्री रहने के साथ साथ स्कूल भी जाएंगे। शायद देश के इतिहास में ऐसे मौके कम ही होंगे जब शिक्षा मंत्री खुद स्कूल की पढ़ाई करते मिलें। लेकिन यह एक स्वस्थ और बेहतर शुरूआत कही जा सकती है। तब जबकि अपनी शिक्षा के खुलासे को लेकर अनेक हस्तियां अब भी सवालों के घेरे में हैं। 

  जगरनाथ महतो ने 1995 में दसवीं की पढ़ाई पूरी की, लेकिन वो आगे पढ़ नहीं सके। लिहाज़ा और पढ़ने की इच्छास्वरूप उन्होंने बोकारो स्थित महाविद्यालय में दाखिला लिया है। राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने सोमवार को बोकारो जिले के नावाडीह के देवी महतो स्मारक इंटर महाविद्यालय में कला संकाय में 11वीं में अपना नामांकन करवाया। खास बात यह रही कि इस दौरान खुद शिक्षामंत्री ने काउंटर में खड़े होकर छात्रों के साथ कागजात को जमा करते हुए दाखिला किया। महतो के मुताबिक 1995 में नेहरू उच्च विद्यालय तेलो से उन्होंने दसवीं की परीक्षा द्वितीय श्रेणी से पास की थी, लेकिन उसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी। अब पढ़ाई की इच्छा ने एक बार फिर उन्हें कॉपी और किताबों की दुनिया में दाखिला दिलवा दिया है।

शिक्षा मंत्री ने आगे की पढ़ाई करने की क्यों सोची ?, इसकी भी काहनी दिलचस्प है। दरअसल इसी साल जनवरी महीने में उन्होंने विभाग का पदभार ग्रहण किया। इसी बीच कुछ लोगों ने दबी जुबान में ये टिप्पणी कर दी कि दसवीं पास शिक्षामंत्री राज्य में शिक्षा विभाग का काम कैसे कर पाएगा। लोगों के इन्हीं तानों से तंग आकर महतो ने पढ़ाई करने की ठान ली। और आखिरकार ग्यारहवीं के कला संकाय में दाखिला ले लिया। इस वक्त झारखंड की विधानसभा में लगभग 30 फीसदी ऐसे विधायक हैं जो 12 वीं तक ही शिक्षित हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री का यह कदम सबको हैरान कर गया।