बेंगलुरु/नई दिल्ली। एक तरफ देश भर के किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत हैं तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेता लगातार एक के बाद एक किसानों को लेकर अनर्गल बयानबाज़ी कर रहे हैं। कर्नाटक सरकार के कृषि मंत्री और बीजेपी नेता बीसी पाटिल ने कहा है कि आत्महत्या करने वाले किसान कायर होते हैं। अपने बयान पर विवाद बढ़ता देख बीजेपी नेता ने सफाई तो दे दी, उनकी अकड़ का आलम ये है कि किसानों का अपमान करने वाला बयान देने के बावजूद वे इस पर माफी मांगने को तैयार नहीं हैं।  

दरअसल येदियुरप्पा सरकार में कृषि मंत्री बीसी पाटिल ने अपने एक बयान में कहा कि जो किसान आत्महत्या करते हैं वो कायर होते हैं। बीजेपी नेता ने एक महिला का उदाहरण देते हुए कहा ,एक महिला सोने की चूड़ियां पहने हुई थी, जब मैंने उनसे पूछा ये कहां से आए तो उन्होंने कहा कि धरती मां की वजह से। एक महिला हमेशा जमीन पर विश्वास रखती है। पाटिल ने आगे कहा, इस महिला की टिप्पणी उन सब किसानों को जवाब है जो सुसाइड करते हैं। आत्महत्या करने वाले किसान कायर होते हैं। क्योंकि एक डरपोक ही अपनी पत्नी और बच्चों की देखभाल नहीं कर सकता है। अगर हम पानी में डूब रहे हो तो हमें तैरना होता है और जीतना होता है। किसी भी किसान को ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए। हर किसी को महिलाओं से सीखना चाहिए। 

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मंत्री ने जब इस बयान पर विवाद बढ़ते हुए देखा तो तुरंत ही स्पष्टीकरण भी दे दिया। अपने दिए गए बयान पर बवाल को बढ़ता देख बीसी पाटिल ने कहा कि उन्होंने किसानों को नहीं बल्कि आत्महत्या करने वाले लोगों को कायर कहा है। पाटिल ने कहा किसान देश की शक्ति हैं, सरकार उनकी देखभाल के लिए है ताकि वो सुसाइड ना करें। इतिहास यही कहता है कि आत्महत्या कायरता है। कृषि मंत्री ने अपने बयान पर माफी मांगने के सवाल पर कहा,कृषि मंत्री होने के नाते मैंने किसानों को लेकर बात की, ऐसे में माफी का कोई सवाल ही नहीं है। हमारी कोशिश है कि किसान एक अच्छा जीवन जिएं और हम उसके लिए काम कर रहे हैं।  

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किसी बीजेपी नेता के किसानों पर अनर्गल बयान देने का ये पहला मामला नहीं है। 2015 में तत्कालीन कृषि मंत्री और बीजेपी नेता राधामोहन सिंह ने तो यहां तक कह दिया था कि किसान प्रेम प्रसंगों और नपुंसकता के कारण आत्महत्या करते हैं। वर्तमान समय में किसान आंदोलन के समय भी लगातार बीजेपी नेताओं के बयान तो सबके सामने हैं ही। किसी को किसानों में खालिस्तानी नज़र आते हैं तो किसी को आंदोलन की तस्वीरों में किसान ही नज़र नहीं आता। इस तरह के बयान कुल मिलाकर किसानों की समस्या को लेकर बीजेपी की सोच पर सवाल खड़े करते हैं।