नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले को डरावना करार देते हुए कहा कि सामान्य परिस्थितियों में जमानत रद्द नहीं की जाती, लेकिन इस मामले के तथ्य अलग हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने सेंगर को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा। मामले में 4 हफ्ते बाद सुनवाई होगी। सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट ने 23 दिसंबर को जमानत दी थी। जमानत के खिलाफ CBI ने सुप्रीम कोर्ट में 3 दिन पहले याचिका लगाई थी। सोमवार को चीफ जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच में सुनवाई हुई। बेंच ने दोनों पक्षों की करीब 40 मिनट तक दलीलें सुनीं।

चीफ जस्टिस ने कहा, 'कोर्ट को लगता है कि मामले में अहम सवालों पर विस्तार से विचार जरूरी है। आमतौर पर कोर्ट का सिद्धांत है कि किसी दोषी या विचाराधीन कैदी को रिहा कर दिया गया हो, तो बिना उसे सुने ऐसे आदेशों पर रोक नहीं लगाई जाती, लेकिन इस मामले में परिस्थितियां अलग हैं। क्योंकि आरोपी दूसरे मामले में पहले से दोषी ठहराया जा चुका है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के आदेश पर रोक लगाई जाती है।'

सुप्रीम कोर्ट का आदेश सुनते ही पीड़ित फूट-फूटकर रोने लगी। एक्टिविस्ट योगिता भैयाना और अन्य महिलाओं ने उसे संभाला। इसके बाद पीड़ित ने कहा कि मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। मुझे सुप्रीम कोर्ट से न्याय मिलेगा। मैं इस लड़ाई को जारी रखूंगी। उसे फांसी की सजा दिलाऊंगी, तब जाकर हमारे परिवार को इंसाफ मिलेगा।

इससे पहले, कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये भयावह मामला है। धारा-376 और पॉक्सो के तहत आरोप तय हुए थे। ऐसे मामलों में न्यूनतम सजा 20 साल की कैद हो सकती है, जो पूरी उम्र की जेल तक बढ़ाई जा सकती है।