लेह। लद्दाख को एक अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के एक साल बाद बीजेपी लद्दाख ऑटोनमस हिल डेवेलपमेंट कॉउन्सिल में सत्ता में लौट आई है। हालांकि जीत का अंतर कम है। इस बार के चुनाव में बीजेपी ने कॉउंसिल की 15 सीटें अपने नाम की हैं। यह पिछली बार के मुकाबले पांच कम हैं। दूसरी तरफ कांग्रेस ने 9 सीटें हासिल की हैं। पिछ्ली बार पार्टी के पास 6 सीटें थीं। ध्यान देने वाली बात है कि इस बार एनसी और पीडीपी ने यह चुनाव नहीं लड़ा।

बीजेपी ने भले ही इस चुनाव में जीत हासिल कर ली हो, लेकिन परिणाम आने पर पार्टी नेताओं में उत्साह नहीं देखने को मिला। बीजेपी ने इस चुनाव को अपने सम्मान का मुद्दा बना लिया था। प्रचार के दौरान पार्टी ने अबकी बार 26 बार जैसे नारे लगाए थे। पार्टी के लिए करीब आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रियों ने प्रचार किया और दूसरे बड़े नेता भी आए। लेकिन चुनाव परिणाम निराशाजनक रहा। बीजेपी के लिए सबसे बड़ी हार सकती क्षेत्र में रही। यहां पिछले हिल कॉउंसिल के प्रमुख ग्याल पी वांगयल को कांग्रेस के रिगजिन त्सेरिंग ने हरा दिया।

बताया जा रहा है कि लद्दाख के लोग बीजेपी से इसलिए नाराज हैं क्योंकि उन्हें अब तक छठवीं अनुसूची के तहत संरक्षण नहीं मिला है। यह संरक्षण मिल जाने पर उनकी जमीन और नौकरियां उनकी मर्जी के बिना कोई और नहीं ले पाएगा, जैसा कि 35 (A) की तहत व्यवस्था थी। लद्दाख का विशेषाधिकार छीन लेने के विरोध में कई पार्टियीं ने चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही थी। बीजेपी के स्थानीय नेता भी इसमें शमिल थे। हालांकि बाद में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने स्थानीय नेताओं को चुनाव लड़ने के लिए मना लिया था। दूसरी तरफ अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में एनसी और पीडीपी पहले ही चुनाव का बहिष्कार कर चुके थे। ऐसे में बीजेपी को लगा था कि चुनाव जीतना बहुत आसान होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।