नई दिल्ली/पटना। लोकसभा में लोक जनशक्ति पार्टी के संसदीय दल का नेता चुने जाने के ठीक एक दिन बाद एलजेपी ने पशुपति पारस और उनके समर्थक चारों सांसदों को निष्कासित कर दिया है। एलजेपी ने पशुपति पारस और चौधरी मेहबूब अली कैसर सहित पांचों सांसदों की एलजेपी की प्राथमिक सदस्यता रद्द कर दी है। एलजेपी के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक के हवाले से पांचों सांसदों को हटाने की अधिसूचना जारी कर दी गई है। 





पांचों सांसदों को निष्कासित किए जाने के प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया है कि राष्ट्रीय कार्यकरिणी समिति ने पशुपति कुमार पारस, बीना देवी, चौधरी महबूब अली, चंदन सिंह और प्रिंस राज को तत्काल प्रभाव से एलजेपी की प्राथमिक सदस्यता से हटा दिया है। आने वाले चुनावों में पार्टी के लिए चिराग पासवान कोई भी निर्णय लेने हेतु अधिकृत हैं। 



दरअसल यह सारा बवाल पशुपति पारस द्वारा बगावती रुख अपनाने के बाद शुरू हुआ। पहले पशुपति पारस को एलजेपी के चार सांसदों ने अपना नेता चुन लिया। चिराग पासवान को पार्टी से दरकिनार करने के इरादे से एलजेपी के सभी सांसद पशुपति पारस के समर्थन में आ गए। इसके बाद सोमवार देर शाम लोकसभा ने भी पशुपति पारस को एलजेपी के संसदीय दल की नेता की मान्यता दे दी। जिसके बाद चिराग पासवान ने पशुपति पारस समेत उनका समर्थन करने वाले सभी सांसदों को पार्टी से निकाल दिया। 



चिराग पासवान कुछ घंटों पहले ही होली के अवसर पर अपने चाचा पशुपति पारस को लिखा अपना पत्र साझा किया था। जिसमें उन्होंने पशुपति पारस पर पार्टी को तोड़ने की कोशिश करने के आरोप लगाए थे। चिराग ने यह भी कहा था कि खुद रामविलास पासवान अपने भाई के मंसूबों से अच्छी तरफ से वाकिफ थे। 





चिराग ने पशुपति पारस को लिखे अपने पत्र में कहा था कि रामविलास पासवान जब जीवित थे तब वे खुद चाहते थे कि लोक जनशक्ति पार्टी बिहार में अपने पैरों पर खड़ी हो सके। यानी रामविलास नीतीश कुमार से अलग होकर चुनाव लड़ना चाहते थे। चिराग ने अपने चाचा से कहा था कि उन्होंने चिराग के पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद से ही पार्टी के खिलाफ काम करना शुरू कर दिया था।