कोलकाता। पश्चिम बंगाल की कमान अपने हाथ में लेते ही ममता बनर्जी अपने पसंदीदा अधिकारियों की तैनाती करनी शुरू कर दी है। ममता ने चुनाव आयोग द्वारा तैनात किए गए सभी अधिकारियों को हटा दिया है। वहीं आयोग द्वारा हटाए गए सभी अधिकारियों की एक बार फिर ममता ने तैनाती कर दी है। 

बुधवार देर रात ममता बनर्जी ने कुल 29 पुलिस अधिकारियों के तबादला का आदेश जारी किया। इनमें से अधिकतर पुलिस अधिकारियों को चुनाव आयोग ने आचार संहिता के दौरान हटा दिया था। बंगाल के कुल 16 ज़िलों के पुलिस अधीक्षक बदले गए हैं।

सबसे ज़्यादा चर्चा में कोचबिहार के पुलिस अधीक्षक देवाशीष धर हैं। कोचबिहार के एसपी देवाशीष धर को ममता ने निलंबित कर दिया है। कोचबिहार में ही 10 अप्रैल को मतदान के दौरान सीआईएसएफ की गोलीबारी में चार लोग मारे गए थे। ममता बनर्जी इस मामले में सीआईडी जांच के आदेश दे चुकी हैं। देवाशीष धर की जगह कन्नन को कोचबिहार का एसपी नियुक्त किया गया है। 

इससे पहले ममता ने बुधवार को कमान संभालते ही पश्चिम बंगाल के डीजीपी और एडीजी बदल दिए थे। वीरेंद्र को पश्चिम बंगाल का नया डीजीपी जबकि जावेद शमीम को एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) बनाया गया है। चुनाव आयोग ने नीरज पांडे को डीजीपी और जगनमोहन को एडीजी के पद पर नियुक्त किया है।

 पश्चिम बंगाल के राजनीतिक जानकार बताते हैं कि ममता को अपनी पार्टी के नेताओं के मुकाबले अधिक भरोसा राज्य के अधिकारियों पर है। राज्य में लागू योजनाओं की बात हो या फिर उन योजनाओं का लाभ लोगों तक पहुंचाने की बात हो, ममता अपने अधिकारियों को पार्टी के नेताओं के मुकाबला ज़्यादा तरजीह देती हैं। इस बार घाटल से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ीं भारती घोष कभी पश्चिमी मिदनापुर की एसपी हुआ करती थीं। 

भारती ममता की विश्वस्त अधिकारियों में से एक थीं। लेकिन मुकुल रॉय के बीजेपी में शामिल होने के बाद भारती ने बीजेपी का दामन थाम लिया। ममता को अपने अधिकारियों पर कितना भरोसा है, उसे इस उदाहरण से ही समझा जा सकता है कि जब फरवरी 2019 में कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर सीबीआई ने छापेमारी की और उन्हें गिरफ्तार कर ले गई। तब ममता अपने अधिकारी के बचाव में आधी रात को धरने पर बैठ गईं।