इम्‍फाल। मणिपुर में पिछले डेढ़ महीने से मचा सियासी घमासान फिलहाल थम गया है।राज्य की बीजेपी सरकार पर मंडरा रहा खतरा अब टल गया है। सोमवार को सदन में बीजेपी ने विश्वास मत हासिल कर लिया। जिसके परिणाम स्वरूप राज्य की एन बिरेन सिंह सरकार गिरते गिरते बच गई। 

सोमवार को जब विधानसभा के सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई तो बीजेपी के पक्ष में 28 वोट पड़े।सदन में 24 सदस्यों वाली कांग्रेस के पक्ष में महज़ 16 वोट पड़े। ऐसा सदन में 8 कांग्रेस विधायकों की गैरमौजूदगी की वजह से हुआ।सोमवार को सदन में बीजेपी के पक्ष में उसके खुद के 18, एनपीपी और एनपीएफ के 4-4, टीएमसी और लोक जनशक्ति पार्टी के 1-1 तथा एक निर्दलीय विधायक ने वोट किया। बता दें कि इस समय मणिपुर विधानसभा सदन की संख्या 53 सदस्यों की है। 4 विधायकों को दल बदल कानून के चलते अयोग्य करार दिया गया है तथा तीन विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया है।

मणिपुर में कोई कानून नहीं बचा है 

सदन में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया। पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने कहा कि 'मणिपुर में कोई कानून नहीं बचा है। हम वोट डिविजन की मांग कर रहे हैं लेकिन बीजेपी को यह पसंद नहीं है। बीजेपी के ही कई लोग इस सरकार को पसंद नहीं करते हैं।'

इससे पहले राज्य की बीजेपी सरकार पर 17 जून को राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया जब सत्ताधारी दल बीजेपी के तीन विधायकों ने अचानक कांग्रेस से अपना नाता जोड़ लिया। वहीं बीजेपी सरकार के साथ गठबंधन में रहने वाली एनपीपी के चार विधायकों ने भी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। हालांकि सरकार तब जा कर सुरक्षित बच पाई जब पूरे प्रकरण में मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने हस्तक्षेप किया और उनकी पार्टी नेशनल पीपल्स पार्टी ( एनपीपी ) के चारों विधायक गठबंधन में वापस आ गए।