कोरोना संकट के समय में केंद्र सरकार ने बैठे बैठे ही अपनी आय बढ़ा ली है। पूरी दुनिया में जब कच्‍चे तेल के दाम अभूतपूर्व रूप से गिर गए हैं तब केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में भारी बढ़ोतरी की है। सरकार ने पेट्रोल पर प्रति लीटर 10 रुपये और डीजल पर प्रति लीटर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है। यह अब तक सर्वाधिक है। इस निर्णय के साथ ही भारत पेट्रोल-डीजल पर सबसे ज्यादा उत्पाद शुल्क लेने वाला देश बन गया है।



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केंद्र सरकार ने जनता के उपयोग किए जान वाले पेट्रोल-डीजल पर टैक्स को बढ़ाकर 69 प्रतिशत कर दिया है। पिछले साल तक भारत में पेट्रोल-डीजल पर 50 फीसदी तक टैक्स था। मंगलवार रात जारी अधिसूचना के अनुसार डीजल और पेट्रोल पर रोड और इंफ्रास्ट्रक्चर सेस 8 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है। इसके अलावा डीजल पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क 5 रुपये प्रति लीटर और पेट्रोल पर 2 रुपये प्रति लीटर बढ़ाया गया है।



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विश्‍व के अन्‍य देशों से तुलना करें तो यह टैक्‍स इटली में 64 फीसदी, फ्रांस और जर्मनी में 63 फीसदी, ब्रिटेन में 62 प्रतिशत है, जबकि स्पेन में 53 तथा जापान में 47 प्रतिशत उत्पाद शुल्क लिया जाता है।



कांग्रेस ने उठाए सवाल



कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई है। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा है कि कच्चे तेल के दामों में भारी गिरावट का फायदा जनता को मिलना चाहिए। लेकिन भाजपा सरकार बार-बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर जनता को मिलने वाला सारा फायदा अपने सूटकेस में भर लेती है। गिरावट का फायदा जनता को मिल नहीं रहा है और जो पैसा इकट्ठा हो रहा है उससे भी मजदूरों की, मध्यम वर्ग, किसानों और उद्योगों की मदद हो नहीं रही है। आखिर सरकार पैसा इकट्ठा किसके लिए कर रही है?