केवड़िया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात दौरे के दूसरे दिन केवड़िया में सरदार पटेल की प्रतिमा तक गए। घोषित मकसद तो सरदार पटेल को उनकी जयंती पर नमन करने का था, लेकिन सरदार को याद करने के बहाने दिए गए भाषण में मोदी सियासी बयानबाज़ी करना नहीं भूले। बिहार के विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश में होने जा रहे बेहद अहम उपचुनावों के बीच सरदार जयंती के समारोह को उन्होंने विपक्षी दलों पर हमले का मौका बना डाला। 

प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी पार्टियों पर यह आरोप लगा दिया कि जब पूरा देश पुलवामा हमले में जवानों की शहादत से दुखी था, तब कुछ लोग इस दुख में शामिल नहीं थे। उस समय वे अपना राजनीतिक स्वार्थ खोज रहे थे। हालांकि प्रधानमंत्री ने खुलकर यह नहीं कहा कि वे लोग कौन थे। न ही उन्होंने यह बताया कि उनके इस आरोप का आधार क्या है। हो सकता है पुलवामा के आतंकी हमले की याद दिलाकर वे खुद शायद कुछ वैसे सियासी लाभ की उम्मीद कर रहे हों, जो राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें और उनकी राजनीतिक पार्टी को पुलवामा और बालाकोट की वजह से मिला था। 

प्रधानमंत्री ने सरदार पटेल की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि देश में कई ऐसे काम हुए हैं, जिन्हें असंभव मान लिया गया था। कश्मीर से धारा 370 हटाए एक साल पूरा हो गया है। सरदार पटेल के रहते अगर उन्हें यह जिम्मेदारी दी गई होती, तो आज हमें यह काम नहीं करना पड़ता।

केवड़िया में बनी सरदार पटेल की स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर बोलते हुए पीएम ने कहा कि यह स्थल अब एक तीर्थस्थल बन गया है और दुनिया के ट्यूरिज्म मैप पर छाने वाला है। मोदी ने कहा कि आज यहां सी-प्लेन सेवा की शुरुआत होने जा रही है। स्टेच्यू ऑफ यूनिटी देखने के लिए लोगों को अब सी-प्लेन की सुविधा मिलेगी। यहां के लोगों को रोजगार के नए मौके भी मिल रहे हैं। 

बता दें कि मोदी कोरोना काल में पहली बार गुजरात का दौरा कर रहे हैं। मोदी ने अपने दौरे के पहले दिन 16 परियोजनाओं का उद्घाटन किया था। मोदी ने वाल्मीकि जयंती पर महर्षि वाल्मीकि को भी याद किया। इससे पहले मोदी एकता दिवस की परेड में भी शामिल हुए। परेड में गुजरात पुलिस, सेंट्रल रिजर्व आर्म्ड फोर्सेज, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स, इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस, CISF और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के जवानों ने हिस्सा लिया।