नई दिल्ली। संसद में जारी मानसून सत्र के दौरान लोक सभा में नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया और सांसद फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में 4 जी इंटरनेट सेवा ना उपलब्ध होने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में इस ओर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। 

फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर में लोगों के पास 4 जी इंटरनेट सेवा नहीं है और ऐसे कठिन समय में जब बाकी के देशवासियों के पास सभी प्रकार की इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध हैं, तब जम्मू कश्मीर के लोग किस तरह आगे बढ़ेंगे। 

इससे पहले 11 अगस्त को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 15 अगस्त के बाद ट्रायल के तौर पर जम्मू कश्मीर में सीमित स्तर पर 4 जी इंटरनेट की सेवा उपलब्ध कराई जाएगी। केंद्र सरकार ने यह भी कहा था कि ट्रायल के परिणामों की दो महीने के बाद समीक्षा होगी। 

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह जवाब तब दाखिल किया था जब एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार को 4 जी इंटरनेट सेवाओं की संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया था। यह याचिका गैर सरकारी संगठन फाउंडेशन फ़ॉर मीडिया प्रोफेशनल्स की तरफ से डाली गई थी। 

केंद्र सरकार बार बार यह तर्क दे रही है कि जम्मू कश्मीर में 4 जी इंटरनेट सेवाएं शुरू कर देने से पाकिस्तान उसका दुरुपयोग आतंक फैलाने के लिए करेगा। पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने और पूर्ववर्ती राज्य को दो अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिए जाने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में 4 जी इंटरनेट सेवाएं बंद हैं।

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जम्मू कश्मीर के लिए आर्थिक पैकेज

वहीं जम्मू कश्मीर के नए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने केंद्र शासित प्रदेश के लिए 1,350 करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की। यह पैकेज 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज से अलग है। 

उपराज्यपाल ने कहा कि इस पैकेज से बिजनेस को सहारा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि कर्ज लेने वाले प्रत्येक व्यवसायी को चालू वित्त वर्ष में 6 महीनों तक ब्याज दर पर पांच फीसदी की छूट मिलेगी। साथ ही अगले एक साल तक पानी और बिजली के बिल पर 50 प्रतिशत छूट की भी घोषणा की गई।

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मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र के साथ साथ स्थानीय कारीगरों के लिए कर्ज लेने की सीमा को एक लाख से बढ़ाकर दो लाख करने की घोषणा की। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी पार्टियों ने इस पैकेज को नाकाफी बताया।