मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में सावरकर को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसी बीच एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा है कि सावरकर गोमांस के पक्षधर थे और उन्होंने गोमांस खाने के फायदे भी बताए थे।

एनसीपी नेता ने रविवार को नासिक में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहा की विनायक दामोदर सावरकर हिंदू धर्म के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखते थे। वे दलितों को मंदिर में प्रवेश को बढ़ावा देने का प्रयास करने वाले शुरुआती लोगों में से एक थे। यह सावरकर ही थे जिन्होंने गाय के मांस और दूध की उपयोगिता की वकालत की थी। वे तर्कवादी थे। उन्होंने वैज्ञानिक रूप से इस मुद्दे पर बात की थी, जिसे कम करके नहीं आंका जा सकता।'

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पवार ने बताया कि सावरकर ने रत्नागिरी में एक मंदिर बनवाया था और अनुष्ठान के लिए एक दलित पुजारी को नियुक्त किया था। उन्होंने कहा, 'यह सामाजिक समानता का संदेश देने के लिए किया गया था। उन दिनों दलितों को मंदिरों में जाने की इजाजत तक नहीं थी। ऐसे में मंदिर का प्रभार एक दलित व्यक्ति को सौंपना अकल्पनीय था। ये कुछ पहलू हैं जो स्पष्ट करते हैं कि सावरकर का वैज्ञानिक स्वभाव था।'

दरअसल, नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का आयोजन हुआ था। पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने यहां जाने से ये कहते हुए इनकार कर दिया कि वहां सावरकर का कोई जिक्र नहीं किया गया। फडणवीस के मुताबिकसाहित्य सम्मेलन के आयोजकों ने जानबूझकर सावरकर का नाम शामिल नहीं किया है। उन्होंने कहा कि जहां सावरकर का अपमान होता है, हम क्यों जाएं? इसपर शरद पवार ने आरोप लगाया कि बीजेपी ने सावरकर को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया है।