नई दिल्ली। पिछले 7 वर्षों में देश भर में करीब 800 सैनिकों ने आत्महत्या की है। 2014 से अब तक आर्मी के 591 जवान आत्महत्या कर चुके हैं। भारतीय वायु सेना के 160 और नैवी के 36 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। यह आंकड़ा राज्यसभा में रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक द्वारा एक सवाल के जवाब में प्रस्तुत किया गया।

राज्यसभा में पेश किए गए इस आंकड़े ने एक बार फिर 14 लाख की संख्या वाले सेना में आत्महत्या को रोकने के लिए नई नीतियों पर काम करने की चर्चा छेड़ दी है। रक्षा के क्षेत्र में स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए अभी और कार्य करने की दरकार है। क्योंकि प्रति वर्ष 100 सैनिक अपनी जान ले ले रहे हैं।

श्रीपद नाइक ने सदन में कहा कि सरकार ने इसमें सुधार लाने के लिए कई कदम भी उठाए हैं। सरकार ने सरहदी इलाकों में ट्रेंड साइकोलॉजिकल काउंसलर रखे हैं। इसके साथ ही सैनिकों के खाने की गुणवत्ता और कपड़ों का विशेष तौर पर सरकार ध्यान रख रही है। उन्हें स्ट्रेस मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।

दूर सरहदी इलाकों में पोस्ट हुए सैनिक काफी मानसिक तनाव से गुजरते हैं। घर पर उनका परिवार जिन चुनौतियों का सामना करता है, उसके बारे में सोचकर सैनिकों के मानसिक तनाव में वृद्धि होती है। वैवाहिक जीवन से लेकर आर्थिक समस्याएं भी सैनिकों के मानसिक तनाव से गुजरने का कारण हैं। हालांकि नाइक ने सदन में यह भरोसा दिलाया कि सरकार सैनिकों के मानसिक तनाव को कम करने के लिए ज़रूरी कदम उठा रही है।