प्रयागराज/लखनऊ। उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी से हो रही मौतें किसी नरसंहार करार दिया है। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा है कि जिन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, कोविड मरीजों की मौत उनके लिए किसी नरसंहार से कम नहीं है। कोर्ट ने इसे आपराधिक कृत्य जैसा माना है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट की दो सदस्यीय डिवीजन बेंच ने यह तल्ख टिप्पणी उत्तर प्रदेश में कोरोना से बेकाबू होते हालात को लेकर की। जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की डिवीजन बेंच के समक्ष नौ ज़िलों के ज़िला न्यायाधीशों ने कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल की। पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कुल दस ज़िलों के न्यायाधीशों को अपने ज़िले की कोरोना स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। 

इसके अलावा डिवीजन बेंच ने राज्य निर्वाचन आयोग को भी आड़े हाथों लिया। हाई कोर्ट ने हाल ही में हुए पंचायत चुनाव की मतगणना के दौरान की रिकॉर्डिंग तथा सीसीटीवी फुटेज आयोग से मांगी है। हाई कोर्ट ने लखनऊ, प्रयागराज, गोरखपुर, वाराणसी, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर और आगरा की फुटेज मांगी है। 

उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि इस समय राज्य में 17614 आइसोलेशन बेड और 5510 आईसीयू बेड अलग अलग अस्पतालों में खाली हैं। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच अब 7 मई को इस पूरे मामले की अगली सुनवाई करेगी।