मुंबई। भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार कवि एवं राजनीतिक कार्यकर्ता वरवर राव को चक्कर आने की शिकायत के बाद मुंबई के सरकारी जे जे अस्पताल में भर्ती कराया गया। 80 वर्ष के राव पिछले करीब दो साल से जेल में बंद हैं। उन्हें नवी मुंबई की तलोजा जेल में रखा गया है। कुछ दिन पहले उनके परिवार ने जेल प्रशासन पर आरोप लगाया था कि राव की खराब हालत को जानबूझकर नजरअंदाज किया जा रहा है। उनके परिवार ने उन्हें तुरंत चिकित्सीय सेवाएं मुहैया कराए जाने की मांग की थी।

कार्यकर्ता के वकील आर सत्यनारायण अय्यर ने कहा, ‘‘राव को चक्कर आने के बाद सोमवार रात जे जे अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल उनकी कुछ जांचें कर रहा है।’’

इससे पहले राव ने अस्थाई जमानत का अनुरोध करते हुए बंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इसके लिए उन्होंने अपने बिगड़ते स्वास्थ्य और वर्तमान कोविड-19 महामारी का हवाला दिया था। कार्यकर्ता ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह जेल प्राधिकारियों को उनका मेडिकल रिकॉर्ड पेश करने और उन्हें किसी अस्पताल में भर्ती कराए जाने का निर्देश दे।

राव ने अपने वकील आर सत्यनारायण अय्यर के माध्यम से उच्च न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की थीं। एक में विशेष एनआईए अदालत द्वारा 26 जून को उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने को चुनौती दी गई थी, जबकि दूसरी याचिका में नवी मुंबई की तलोजा जेल के अधिकारियों को उनका मेडिकल रिकार्ड पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

राव और नौ अन्य कार्यकर्ताओं को भीमा-कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया है। इस मामले की प्रारंभ में पुणे पुलिस ने जांच की थी, लेकिन इस साल जनवरी में इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया।

यह मामला 31 दिसंबर, 2017 में पुणे के एल्गार परिषद सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुलिस के अनुसार इसी के बाद अगले दिन कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा हुई थी। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस सम्मेलन का जिन लोगों ने आयोजन किया था, उनका कथित रूप से माओवादियों से संबंध था।