नई दिल्ली। राफेल डील मामले में एक नए खुलासे ने मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है। फ्रांसीसी पत्रिका मेडियापार्ट ने दावा किया है कि राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी दसॉ एविएशन ने भारतीय बिचौलिए सुशेन गुप्ता को करीब 65 करोड़ रुपए दिए थे। इतना ही नहीं पत्रिका का दावा है कि इस बात की जानकारी केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआई और ईडी को भी थी, बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

राफेल डील में हुई कथित दलाली को लेकर लगातार नए खुलासे करने वाली ऑनलाइन फ्रांसीसी पत्रिका मीडियापार्ट के मुताबिक सीबीआई और ईडी के पास अक्टूबर 2018 से ही इस बात के सबूत हैं कि दसॉ एविएशन ने सुशेन गुप्ता को 65 करोड़ रुपए घुस दिए थे। इसके बावजूद केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जांच को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला लिया। पत्रिका ने यह भी बताया है की इस डील में ऑफशोर कंपनियां, संदिग्ध अनुबंध और फेक चालान शामिल हैं।

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बता दें कि इस मल्टी-अरब डॉलर डील को लेकर फ्रांस की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंशियल क्राइम ब्रांच ने एक जज की नियुक्ति की है जो मामले की भ्रष्टाचार के एंगल से जांच करेंगे। राफेल डील मामले में भारत सरकार की भूमिका शुरू से सवालों के घेरे में है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2019 के शुरुआती महीनों में राफेल विमानों के समझौते और उसके पैरलेल नेगोशियेशन का मुद्दा भी काफी गर्माया था। कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार राफेल की खरीद और उसके समझौते में बड़े घोटाले का आरोप प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर लगाते रहे हैं। 

दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने फ्रांसीसी कंपनी दसॉ एविएशन से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए 23 सितंबर, 2016 को समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत सरकार ने निर्माता कंपनी के साथ इसकी कीमत 59,000 करोड़ रुपये तय की। अब दावा है कि कंपनी ने फाइटर जेट डील फाइनल करने के लिए भारतीय दलालों को करोडों रुपए घुस दिए। कांग्रेस का आरोप है कि एक फाइटर जेट की कीमत महज 570 करोड़ रुपए है लेकिन मोदी सरकार ने एक जेट के लिए 1,600 करोड़ से ज्यादा रकम दी है।