राफेल दलाली मामले में पीएम मोदी की फजीहत, कांग्रेस बोली- दाढ़ी में एक नहीं कई तिनके हैं

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि राफेल घोटाले में मोदी सरकार की चुप्पी से बड़ा सबूत क्या हो सकता है

Updated: Jul 04, 2021, 11:31 AM IST

नई दिल्ली। राफेल फाइटर जेट की खरीद में हुई कथित दलाली को लेकर कांग्रेस ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर निशाने पर लिया है। कांग्रेस ने चोर की दाढ़ी पर तिनका मुहावरे के तर्ज पर मोदी के दाढ़ी को राफेल करार दिया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा है कि चोर के दाढ़ी में एक नहीं बल्कि कई तिनके हैं।

पवन खेड़ा ने आज दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राफेल डील मामले में केंद्र सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किए। खेड़ा ने कहा, 'पूरे विश्व में राफेल पर नित नए खुलासों के साथ चर्चा चलती आ रही है। फ्रांस ने राफेल में भ्रष्टाचार, इंफ्लूएंस पेडलिंग, मनी लांड्रिंग, फेवरेटिज्म इन तमाम पहलुओं पर जाँच बिठा दी है। इस बात को 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं। पूरा देश और पूरा विश्व इंतजार कर रहा है, दिल्ली की ओर देख रहा है कि इस पर चुप्पी क्यों है? सरकार की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं, कोई जवाब नहीं है।' 

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि, 'राफेल दो देशों के बीच इंटर गर्वमेंटल डील थी। दो देशों में से एक देश फ्रांस ने तो जांच बिठा दी है, लेकिन दूसरा जांच बिठाना तो दूर, एक टिप्पणी तक नहीं की। ये ऐसी सरकार है जो सिर्फ बोलने के लिए जानी जाती है, लेकिन वहां भी चुप्पी। प्रधानमंत्री सहित पूरी कैबिनेट चुप। जिस देश को लाभ हुआ, उसने तो जाँच बिठा दी; जिसे नुकसान हुआ, वह चुप है। किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में यह संभव है कि टैक्सपेयर्स का पैसा लुटाया जा रहा हो, लेकिन जांच वहां हो रही है जिसे इस नुकसान से लाभ हुआ।'

570 करोड़ की चीज 1,670 करोड़ में खरीदी गई- पवन खेड़ा

पवन खेड़ा ने आरोप लगाया है कि 570 करोड़ की चीज देश में 1,670 करोड़ में खरीदी गई। उन्होंने कहा, 'अब इस राफेल डील में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि ₹570 करोड़ की चीज हमने ₹1670 करोड़ में खरीदी; सरकार ने खूब टाल-मटोल की, उत्तर देने की कोशिश की। लेकिन नये खुलासे से वह सभी उत्तर ध्वस्त हो गये। हमारी भारतीय नेगोशिएटर टीम ने 506 बिलियन कीमत तय की थी। कैसे अचानक बढ़कर वो कीमत 700 बिलियन हो जाती है; यह बाद में सामने आया। सरकार के सब उत्तर यहां ध्वस्त हो जाते हैं।'

चूर-चूर हुए एग्रीमेंट के तीन स्तंभ- पवन खेड़ा

कांग्रेस नेता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, 'इंटर गर्वमेंटल एग्रीमेंट के जो तीन स्तंभ होते हैं, यह तीन स्तंभ आपके सामने चूर-चूर हुए हैं। इनके मलबे से भी आवाजें आ रही हैं कि जांच होनी चाहिए। राफेल जेट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फाइटर जेट माने जाते हैं। यही कारण था कि जब यूपीए के समय यह प्रक्रिया चल रही थी, काफी आगे बढ़ चुकी थी। जब हमने HAL को भी ऑफसेट पार्टनर बनाया था, जब 108 राफेल हिंदुस्तान में बनने की बात भी उस टेंडर में थी; उस टेंडर में एंटी करप्शन क्लॉज था, वो टेंडर ₹570 करोड़ प्रति राफेल था। यह यूपीए का टेंडर एक तरफ रखिये और दूसरी तरफ मोदी जी का तथाकथित टेंडर रखिये; आपको स्पष्ट दिख जायेगा कि जांच हो या न हो, सबकुछ सामने है। दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा।'

क्या है मामला

दरअसल, इस मल्टी-अरब डॉलर डील को लेकर फ्रांस की पब्लिक प्रॉसिक्यूशन सर्विसेज की फाइनेंशियल क्राइम ब्रांच ने एक जज की नियुक्ति की है जो मामले की भ्रष्टाचार के एंगल से जांच करेंगे। फ्रांस के इस फैसले के बाद भारत सरकार की भूमिका एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। इसके पहले फ्रांस का एक मीडिया संस्थान मीडियापार्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी दसॉ ने डील के लिए भारत में एक दलाल को 1 मिलियन यूरो दिया था। 

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इतना ही नहीं इस कथित घोटाले की रिपोर्ट लिखने वाले रिपोर्टर का दावा है कि यह तो अभी खुलासों की केवल एक परत है, अभी इस मामले में दो और बड़े खुलासे होने बाकी हैं। भारत सरकार और फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी दसॉ के बीच 36 विमानों के लिए 7.8 बिलियन यूरो (9.3 बिलियन डॉलर) का सौदा लंबे समय से भ्रष्टाचार के आरोप और विवादों में फंसा हुआ है। भारत में पिछले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2019 के शुरुआती महीनों में राफेल विमानों के समझौते और उसके पैरलेल नेगोशियेशन का मुद्दा भी काफी गर्माया था। कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार राफेल की खरीद और उसके समझौते में बड़े घोटाले का आरोप प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर लगाते रहे हैं।