नई दिल्ली। पंडितों को लेकर दिए बयान के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चारों तरफ़ से घिर गए हैं। ख़ुद दक्षणिपंथी विचारधारा के समर्थक मोहन भागवत के बयान की आलोचना कर रहे हैं। आलोचना की इसी कड़ी में शंकराचार्य ने मोहन भागवत से उनके बयान पर पूछा है कि आखिर उन्हें इस ज्ञान की प्राप्ति कहां से हुई है? 

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक हिंदी अख़बार से बातचीत के दौरान भागवत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी। शंकराचार्य ने कहा कि मोहन भागवत को आखिर इस ज्ञान की प्राप्ति कहां से हुई कि पंडितों ने वर्ण विभाजन किया है? क्योंकि गीता में स्वयं भगवान ने कहा है कि वर्ण उन्होंने बनाए हैं। 

शंकराचार्य ने आगे कहा कि मोहन भागवत एक बड़े व्यक्ति हैं। उन्हें कोई भी बात जिम्मेदारी के साथ कहनी चाहिए। उनका एक लंबा सामाजिक जीवन है, ऐसे में उन्होंने कोई भी बात ऐसे ही नहीं कही होगी। इसलिए उन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर उन्हें यह जानकारी कौन सा शास्त्र पढ़कर मिली? 

इसके अलावा शंकराचार्य ने हिंदू राष्ट्र की मांग को भी महज़ एक जुमलेबाजी करार दिया। उन्होंने कहा कि इसकी मांग करने वाले लोग उसका खाका सामने क्यों नहीं रखते? कि आखिर हिंदू राष्ट्र बन जाने पर राजनीतिक तौर पर क्या बदल जाएगा? 

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रविवार को सरसंघचालक मोहन भागवत संत रोहिदास की जयंती के उपलक्ष में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वर की नज़र में हम सभी एक हैं और जातियां पंडितों द्वारा बनाई गईं। भागवत का यह बयान ख़ुद संघ की मूल विचारधारा के विपरीत माना जा रहा है। आरएसएस के इतिहास में अब तक कोई गैर सवर्ण व्यक्ति प्रमुख तक नहीं रहा है। आरएसएस के राजनीतिक दल बीजेपी की राजनीति भी मुस्लिमों के विरोध और सवर्ण हिंदुओं के इर्द गिर्द घूमती रही है।