नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश से जुड़े महत्वपूर्ण नीतिगत मसलों पर सलाह-मशविरे के लिए तीन अहम समितियों का गठन किया है। इन समितियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया है।



सोनिया गांधी के इस फैसले की जानकारी कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक प्रेस रिलीज़ जारी करके दी है। इसमें बताया गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष ने तीन समितियों का गठन आर्थिक मामलों, विदेश मामलों और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों और नीतियों पर चर्चा और सलाह-मशविरे के लिए किया है। कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी इसकी जानकारी दी गई है।  





पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह इन तीनों समितियों में शामिल हैं। जबकि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को आर्थिक मामलों की समिति में रखा गया है। उनके अलावा आर्थिक मामलों के कमेटी में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, जयराम रमेश और मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल हैं। जयराम रमेश इस समिति के संयोजक बनाए गए हैं।



विदेश मामलों पर चर्चा के लिए बनी कमेटी में डॉ मनमोहन सिंह के अलावा आनंद शर्मा, शशि थरूर, सलमान खुर्शीद और सप्तागिरी उलाता को रखा गया है। इस कमेटी के कन्वीनर सलमान खुर्शीद हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों और नीतियों पर विचार के लिए बनी कमेटी में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के अलावा राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, वीरप्पा मोइली, विंसेंट पाला और वी. वैथिलिंगम को जगह दी गई है।



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बिहार विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश में हुए उप-चुनाव के बाद से कांग्रेस पार्टी के कुछ नेता नेतृत्व पर सवाल उठा रहे थे। ऐसे माहौल में इन अहम समितियों का गठन कांग्रेस काफी मायने रखता है। सोनिया गांधी ने इन समितियों में गुलाम नबी आजाद, शशि थरूर और आनंद शर्मा को जगह देकर सभी को साथ लेकर चलने का संदेश दिया है। बता दें कि ये तीनों उन 23 नेताओं में शामिल रहे हैं, जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में आत्ममंथन और बदलाव की ज़रूरत बताई थी। इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने पर पार्टी के बाहर और भीतर काफी हलचल मची थी। लेकिन सोनिया गांधी ने इन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां देकर न सिर्फ अपने बड़प्पन का परिचय दिया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कांग्रेस में आंतरिक आलोचना और असहमति की आवाज़ों को भी जगह दी जाती है।