कांग्रेस में असंतुष्टों पर अब सख़्ती के आसार

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, शीर्ष नेतृत्व की आलोचना से अंदर से कमज़ोर होगी पार्टी, राहुल की आलोचना पर फुरकान अंसारी को मिला नोटिस

Updated: Nov 20, 2020, 08:46 PM IST

Photo Courtesy : OPIndia
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नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव में हार को लेकर कांग्रेस के अंदर शुरू हुआ घमासान बढ़ता जा रहा है।टॉप लीडरशिप के खिलाफ बयानबाजी करने वाले कांग्रेस नेता अब पार्टी के अंदर अलग-थलग पड़ने लगे हैं। कपिल सिब्बल सरीखे वरिष्ठ नेताओं की बयानबाजी की पार्टी में आलोचना हो रही है। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बोलने वाले लोग भीतर से पार्टी को कमजोर बना रहे हैं।

इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पर सवाल उठाने वाले पूर्व सांसद फुरकान अंसारी को कारण बताओ नोटिस भेजकर जवाब तलब किया गया है। झारखंड कांग्रेस के प्रभारी आरपीएन सिंह ने उन्हें सात दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है। इस नोटिस को एक नजीर के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इसके बाद कपिल सिब्बल जैसे नेताओं को भी नोटिस देने का रास्ता खुल जाएगा। माना जा रहा है कि अब पार्टी के खिलाफ बोलने वालों के साथ सख्त रुख अख्तियार किया जा सकता है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कपिल सिब्बल को निशाने पर लिया है। उन्होंने कांग्रेस के सभी नेताओं से एकजुट होने की अपील की है। गुरुवार को इंदिरा गांधी के जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में खड़गे ने कहा, 'हमने एक होकर चुनाव लड़ा। यह दुखद है कि कुछ वरिष्ठ नेता टॉप लीडरशिप के खिलाफ बोल रहे हैं। अगर हम अपनी पार्टी और नेताओं को इस तरह कमजोर करेंगे तो हम आगे नहीं जा पाएंगे और अगर हमारी विचारधारा कमजोर होगी तो हम नष्ट हो जाएंगे। हमें अपने नेतृत्व का साथ देना होगा।'

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दरअसल, कपिल सिब्बल ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि जनता कांग्रेस को मजबूत विकल्प के तौर पर नहीं देख रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि पार्टी ने बिहार चुनाव सहित अन्य प्रदेशों के उपचुनाव को गंभीरता से नहीं लिया। इस बयान के बाद वह कांग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं। अधीर रंजन चौधरी ने तो उनका नाम लिए बिना दूसरी पार्टी में चले जाने की सलाह तक दे डाली है। 

चौधरी ने कहा है कि, 'अगर कोई नेता सोचता है कि कांग्रेस उसके लिए सही पार्टी नहीं है तो वो नई पार्टी बना सकता है या कोई और पार्टी जॉइन कर सकता है। जिसके बारे में वो सोचता हो कि ये उसके लिए सही दल है। लेकिन उनको इस तरह की शर्मनाक गतिविधियों में लिप्त नहीं होना चाहिए, जिससे कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हों।'

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गहलोत और सलमान खुर्शीद भी दे चुके हैं नसीहत

इसके पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद भी कपिल सिब्बल को नसीहत दे चुके हैं। सीएम गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि, 'कपिल सिब्‍बल को मीडिया के समक्ष हमारे आंतरिक मुद्दे का जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं थी, इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है।' उन्होंने आगे कहा की कांग्रेस ने 1969, 1977, 1989 और बाद में वर्ष 1996 में विभिन्‍न संकटों का सामना किया लेकिन हर बार हम अपनी विचारधारा, कार्यक्रम, नीतियों और पार्टी नेतृत्‍व में विश्‍वास के चलते मजबूत बनकर उभरे हैं।

वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने बहादुर शाह जफर की पंक्तियों के माध्यम से इशारों में सिब्बल को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दी है। उन्होंने एक पोस्ट में लिखा, 'न थी हालत कि जब हमें खबर रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा।' खुर्शीद ने आगे लिखा कि ऊपर दिए गए उनके शब्द हमारी पार्टी के कई सहयोगियों के लिए उपयोगी हो सकते हैं, जो समय-समय पर चिंता का दर्द झेलते हैं।

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बता दें कि कपिल सिब्बल उन 23 नेताओं में से एक हैं जिन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में आत्ममंथन और बदलाव की ज़रूरत बताई गई थी। इस चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद पार्टी के भीतर बवाल खड़ा हो गया था। कांग्रेस के अंदर एक बड़ा तबका इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता रहा है। इस पत्र के बाद हुई सीडब्लूसी की बैठक में भी यह मांग उठी थी, पर उस वक्त पार्टी अध्यक्ष ने पुरानी बातों को भुलाकर आगे बढ़ने की नसीहत दी थी। हालांकि, इस वक्त परिस्थियां कुछ बदली हुई है। ऐसे में कांग्रेस सिब्बल के अलावा अन्य बड़े नेताओं के खिलाफ भी सख्त रुख अख्तियार कर सकती है।