नई दिल्ली। G20 के ठीक बाद केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र बुलाया है। लेकिन सरकार ने इस विशेष सत्र का मकसद नहीं बताया है। ऐसे में बीते एक हफ्ते से सियासी हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर रखा है। संसद के विशेष सत्र में क्या होगा, इसकी अभी तक सिर्फ अटकलें ही हैं, लेकिन मंगलवार को एक और नई बात सामने आ गई। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, कहा जाने लगा है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान केंद्र सरकार, देश के नाम बदले जाने (India से भारत किए जाने) का प्रस्ताव रख सकती है।

इस बात पर चर्चा तब तेज हुई जब, जी-20 के निमंत्रण पत्र पर भी इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था। ऐसा इसलिए भी किया जा सकता है क्योंकि विपक्षी पार्टयों ने अपने गठबंधन का नाम I.N.D.I.A रखा है। दरअसल, जब से विपक्षी पार्टियों ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखा है केंद्र की मोदी सरकार इसकी आलोचना में जुटी हुई है। स्वयं पीएम मोदी ने आलोचना चक्कर में इंडिया नाम की तुलना आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से की थी। इसके बाद भी जब विपक्षी दलों की बैठकें होती रही तो अब खबर आई है कि केंद्र सरकार देश का ही नाम बदलने जा रही है।

बता दें कि राष्ट्रपति भवन द्वारा 9 सितंबर के जी20 सम्मेलन में आने वाले मेहमानों को रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया गया है। जिसमें रिपब्लिक ऑफ इंडिया की बजाय ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया गया है। भारत के राष्ट्रपति के नाम पर निमंत्रण भेजे जाने पर कांग्रेस ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर पलटवार किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि यह संघीय ढांचे पर हमला है।

शुक्रवार को गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत लोगों को संबोधित करते हुए लोगों से अपील की थी कि देश को इंडिया नहीं बल्कि भारत कहा जाए। उन्होंने कहा कि सदियों से हमारे देश का नाम भारत है, इंडिया नहीं। भाषा कोई भी हो, नाम एक ही रहता है। हमारा देश भारत है और हमें 'इंडिया' शब्द का इस्तेमाल बंद करना होगा। हमें अपने देश को भारत कहना होगा और दूसरों को भी समझाना होगा।