अयोध्या। उत्तर प्रदेश के अयोध्या के एक कॉलेज के छात्रों के खिलाफ सिर्फ इसलिए देशद्रोह का केस दर्ज़ कर लिया गया है, क्योंकि वे नारेबाज़ी कर रहे थे। कॉलेज के प्रिंसिपल ने ही छात्रों के खिलाफ पुलिस में शिकायत करके देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराया है। प्रिंसिपल का दावा है कि छात्र कॉलेज परिसर में 'ले के रहेंगे आज़ादी जैसे देशविरोधी' नारे लगा रहे थे। जबकि छात्रों का कहना है कि वे कॉलेज में छात्रसंघ चुनाव नहीं कराए जाने का विरोध करते हुए प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ नारे लगा रहे थे।

यह पूरी घटना बीते 16 दिसंबर की बताई जा रही है। प्रिंसिपल ने अपने कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र मनोज मिश्रा, मोहित यादव, सात्विक पांडेय, इमरान हाशमी, शीश नारायण पांडेय और सुमित तिवारी के खिलाफ पुलिस में लिखित शिकायत की थी। जिसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 124A, 147, 188, 332, 342, 353, 427, 435 और 506 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

मातृभूमि की रक्षा करना मेरा कर्तव्य: प्रिंसिपल 

अपने ही कॉलेज के छात्रों के खिलाफ देश द्रोह का मुकदमा दायर करने वाले प्रिंसिपल एनडी पांडेय का दावा है कि ऐसा करके वे अपनी मातृभूमि की रक्षा कर रहे हैं। पांडेय ने स्थानीय मीडिया से कहा कि छात्र कॉलेज परिसर में देशद्रोही नारे लगा रहे थे। वे देश को जलाने की बात कर रहे थे। अपनी मातृभूमि की रक्षा करना मेरा कर्तव्य और दायित्व दोनों है। लिहाज़ा मैंने इन छात्रों के खिलाफ पुलिस में शिकायत की है। अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक प्रिंसिपल ने यह भी कहा कि हमारा कॉलेज रामजन्मभूमि परिसर के काफी करीब है, इसलिए यहां राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर कड़ाई से नज़र रखना उनकी जिम्मेदारी है, वो यहां जेएनयू जैसे नारे नहीं लगने दे सकते।

हालांकि जिन छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। वो इस पूरे घटनाक्रम का एक दूसरा पहलू ही बताते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार साकेत महाविद्यालय के छात्रों का कहना है कि वे कॉलेज में छात्रसंघ के चुनाव नहीं कराए जाने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पिछले साल भी क़ॉलेज में छात्रसंघ चुनाव राम जन्म भूमि केस की वजह से नहीं कराए गए थे। तब मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्होंने इसका विरोध नहीं किया। लेकिन इस साल चुनाव नहीं कराने की कोई वजह नहीं है। जब कॉलेज में कक्षाएं हो रही हैं, देश और प्रदेश में हर तरह के चुनाव हो रहे हृैं, तब सिर्फ छात्र संघ चुनाव न कराने का क्या मतलब है। छात्रों का कहना है कि इसी मुद्दे की वजह से वे प्रिंसिपल और चीफ प्रॉक्टर के खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे थे।