दिल्ली। 12वीं की CBSE और ICSE बोर्ड परीक्षा रद्द करने पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों के रिजल्ट बनाने के लिए तैयार की गई मूल्यांकन योजना पर मुहर लगाते हुए आगे बढ़ाने की भी अनुमति दे दी है। कोर्ट ने छात्रों की उस मांग को भी ठुकरा दिया है, जिसमें शुरुआत में मूल्यांकन स्कीम और ऑफलाइन परीक्षा में बैठने में से किसी एक आप्शन को चुनने की मांग की गई थी। वहीं कोर्ट ने 12वीं बोर्ड की फिजिकल परीक्षा जुलाई महीने में आयोजित करने की मांग भी मानने से भी इनकार कर दिया गया है।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की बेंच इस मामले की सुनवाई हुई। देशभर के 1152 छात्रों ने याचिका लगाकर CBSE कंपार्टमेंट, प्राइवेट परीक्षा रद्द करने की मांग की थी। जिसके बारे में कोर्ट ने कहा है कि इसका फैसला संबंधित बोर्ट द्वारा किया जाएगा। राज्यों के बोर्ड और केंद्रीय बोर्ड को एक ही नियमों में नहीं बांधा जा सकता है। हर बोर्ड अपने रूल्स और रेग्यूलेशन के हिसाब से काम करते हैं। उन्हें अपनी असेसमेंट पॉलिसी तय करने का अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया है कि कोरोना संक्रमण के दौर में छात्रों का जीवन बचाना ज्यादा जरूरी है। इस महामारी के दौर में परीक्षाओं का संचालन नहीं किया जा सकता है।

दरअसल इससे पहले सोमवार को CBSE ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि 31 जुलाई तक 30:30: 40 के फार्मूले से रिजल्ट घोषित कर दिया जाएगा। छात्रों को 30 फीसदी 10वीं के नंबरों का वेटेज, 30 फीसदी 11वीं के रिजल्ट का वेटेज और 40 फीसदी नंबर 12वीं के प्री-बोर्ड/इंटरनल असेसमेंट के आधार पर मिलेंगे। रिजल्ट में किसी तरह की कोई धांधली से बचने के लिए रिजल्ट कमेटी बनाई जा रही है, जो रिजल्ट की प्रक्रिया पर नजर रखेगी।

12वीं के इस रिजल्ट से जो छात्र असहमत होंगे उनके लिए 15 अगस्त से लेकर 15 सितंबर के बीच लिखित परीक्षा आयोजित कराई जा सकती हैं। 15 अगस्त से आयोजित होने वाली परीक्षाएं आप्शनल होंगी, इसमें शामिल होने का फैसला छात्रों का होगा। इसके लिए ऑनलाइन अप्लाय करना होगा। अगर स्टूडेंट्स चाहें तो परीक्षा दे चाहें तो नहीं दें। बोर्ड ने यह भी साफ किया है कि इस लिखित परीक्षा में मिले अंकों को फाइनल माना जाएगा।