पीएम केयर्स फंड को वैधता देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें पीएम केयर्स फंड का पैसा राष्ट्रीय आपदा राहत कोष (एनडीआरएफ) में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि कोविड-19 महामारी के लिए अलग से राहत कोष बनाने की जरूरत नहीं थी और आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत किए गए प्रावधान काफी थे। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि केंद्र सरकार चाहे तो अपनी मर्जी से एनडीआरएफ में फंड ट्रांसफर कर सकती है और कोई भी व्यक्ति एनडीआरएफ में दान देने के लिए स्वतंत्र है।

बेंच ने इस मामले में पांच सवाल तैयार किए और खुद ही उनके उत्तर भी दिए। बेंच ने पूछा कि क्या भारतीय संघ के लिए यह जरूरी है कि वह कोविड-19 के लिए एक राष्ट्रीय योजना बनाए? बेंच ने इस सवाल के उत्तर में कहा कि पहले से मौजूद राष्ट्रीय आपदा योजना काफी है। इसी तरह बेंच ने कहा कि आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत मौजूद प्रावधान भी काफी हैं।

बेंच ने तीसरे सवाल में पूछा कि क्या पीएम केयर्स में दान देने पर कोई रोक है? इसके उत्तर में बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार एनडीआरएफ का प्रयोग कर सकती है। इसी तरह एक सवाल के जवाब में कोर्ट ने पीएम केयर्स को चैरिटेबल ट्रस्च बताते हुए कहा कि इसके फंड को एनडीआरएफ में ट्रांसफर करने की जरूरत नहीं है।

इससे पहले इस पूरे मामले में जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की बेंच न 27 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने वकील प्रशांत भूषण के नेतृत्व वाले सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा डाली गई याचिक पर सुनवाई की थी। संस्था की तरफ से दलील दी गई थी कि पीएम केयर्स क गठन संविधान के साथ किया गया धोखा है। याचिका में पीएम केयर्स फंड में पारदर्शिता ना होने की भी बात कही गई थी।