भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर निकिता पांडेय का नाम आज हर तरफ चर्चा में है। ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन बालाकोट जैसी बड़ी सैन्य कार्रवाइयों में अहम भूमिका निभाने वाली इस जांबाज महिला अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की। कोर्ट ने भारतीय वायुसेना को आदेश दिया है कि निकिता को फिलहाल सेवा से हटाया न जाए, क्योंकि उन्हें स्थायी कमीशन से वंचित रखना गलत है।
सर्वोच्च अदालत का यह फैसला न सिर्फ निकिता के लिए बल्कि देश की तमाम महिला सैन्य अधिकारियों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है। निकिता पांडेय भारतीय वायुसेना की एक ऐसी अधिकारी हैं, जिन्होंने साल 2011 में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के जरिए अपनी यात्रा शुरू की थी। पिछले 13 साल से ज्यादा समय से वो वायुसेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं। एक फाइटर कंट्रोलर के तौर पर निकेता ने ऑपरेशन बालाकोट (2019) और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में अपनी रणनीतिक कुशलता दिखाई।
ये दोनों ऑपरेशन देश की सुरक्षा के लिए बेहद अहम थे और निकिता ने इनमें इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम(IACCS) में विशेषज्ञ की भूमिका निभाई। वो देश की उन चुनिंदा फाइटर कंट्रोलरों में से हैं जो मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं। बावजूद केंद्र सरकार द्वारा इस जांबाज बेटी को स्थाई कमीशन नहीं दिया जा रहा था। इसके विरुद्ध वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची और केस भी जीता।
निकिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उन्हें स्थायी कमीशन देने से इनकार कर दिया गया, जो उनके साथ भेदभाव है। 2011 में SSC के जरिए वायुसेना में शामिल होने के बाद उनकी सेवा को 10 साल बाद बढ़ाकर 19 जून 2025 तक कर दिया गया था। अब 13.5 साल की सेवा के बाद उन्हें रिटायर होने के लिए कहा गया, क्योंकि 2019 की एक नीति के तहत उन्हें स्थायी कमीशन के लिए अयोग्य माना गया है।
निकिता की ओर से सीनियर वकील मेनका गुरुस्वामी और वकील आस्था शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि उनकी रणनीतिक योग्यता और अनुभव के आधार पर ऑपरेशन सिंदूर के लिए चुना गया था। उन्होंने यह भी कहा कि 1992 से महिलाएं वायुसेना में शामिल हो रही हैं, लेकिन आज भी उनके पास सिर्फ SSC का विकल्प है जबकि पुरुष अधिकारियों को स्थायी कमीशन का मौका मिलता है। निकिता ने तर्क दिया कि जब तकनीक और हालात इतने बदल चुके हैं, तो 30 साल पुरानी नीतियों के आधार पर महिलाओं को स्थायी कमीशन से वंचित करना गलत है। अगर वो हर तरह से योग्य हैं, तो सिर्फ जेंडर के आधार पर भेदभाव क्यों?
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने निकिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि वायुसेना जैसे पेशेवर संगठन में अधिकारियों के भविष्य को लेकर अनिश्चितता ठीक नहीं है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमारी वायुसेना दुनिया की सबसे बेहतरीन सेनाओं में से एक है। इनके अफसरों की मेहनत और समन्वय की वजह से ही हम रात को चैन की नींद सो पाते हैं, लेकिन अगर इतने काबिल अफसरों के करियर में अनिश्चितता रहेगी, तो ये सेना के मनोबल के लिए अच्छा नहीं है।