नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 7 अगस्त को अपने बच्चों के सामने अर्धनग्न होने वाली महिला कार्यकर्ता रेहाना फातिमा को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया है। सबरीमाला मंदिर में प्रवेश को लेकर सुर्खियों में आई महिला एक्टिविस्ट फातिमा ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। जस्टिस अरुण मिश्रा ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि उनकी तस्वीर अश्लीलता फैला रही है और ऐसी तस्वीरों से बढ़ते बच्चों में बुरा प्रभाव पड़ेगा।

दअरसल बीते दिनों फातिमा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप पोस्ट की थी जिसपर हंगामा मचने के बाद उनके खिलाफ पुलिस स्टेशनों में दो शिकायतें दर्ज की गईं थी। इस वीडियो क्लिप में वह अर्द्धनग्न अवस्था में लेटी हुईं थी और उनके नाबालिग बेटे और बेटी उनके शरीर पर पेंटिंग बना रहे थे। रेहाना ने इस वीडियो को शेयर करते हुए इसे बॉडीआर्ट बताया था।

रेहाना द्वारा इस वीडियो को शेयर करने पर काफी लोगों ने सोशल मीडिया पर उन्हें भला बुरा बोला था वहीं मामले पर आपत्ति जताते हुए केरल स्टेट कमीशन फ़ॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ने पुलिस को उनके खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए कहा था। 

पुलिस में शिकायत होने के बाद फातिमा ने हाई कोर्ट में एक जमानत याचिका दायर की थी जिसे 24 जुलाई को खारिज कर दिया गया था और कहा था कि पुलिस अपनी जांच आगे बढ़ा सकती है। हाई कोर्ट ने फातिमा की उस दलील को ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि वह बच्चों में जागरूकता फैलाने के लिए यह सब कर रही थी। कोर्ट ने कहा था कि अपने विवेक से वो यह मानने को तैयार नहीं हैं कि नाबालिगों का इस्तेमाल अश्लीलता नहीं है। हाई कोर्ट के इस फैसले को फातिमा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी जिसे कोर्ट ने शुक्रवार खारिज कर दिया।