सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरी तनख्वाह ना दे पाने की स्थिति में कंपनियों और मालिकों पर सरकार द्वारा किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

हैंड टूल्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएसन की तरफ से डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एनएन राव, जस्टिल एसके कौल और जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का 29 मार्च के आदेश में वृहद प्रश्न जुड़े हैं, जिनका जवाब दिए जाने की जरूरत है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में लॉकडाउन के दौरान सभी कंपनियों को आदेश दिया था कि वे कर्मचारियों को पूरा मेहनताना दें.

जस्टिस कौल ने कहा कि जरूर कुछ छोटी कंपनियां हो सकती हैं जो कमाई नहीं कर पा रहीं हैं और मेहनताना देने में असमर्थ हैं. केंद्र सरकार को नोटिस देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक सरकार इन कंपनियों की सहायता नहीं करती, तब तक ये कंपनियां कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं दे पाएंगी.

वहीं केंद्र सरकार की पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है. याचिका में 29 मार्च के केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश को रद्द करने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया कि अगर पूरी तनख्वाह देना जरूरी किया गया तो बहुत सारे छोटी औद्योगिक इकाइयां बंद हो जाएंगी.