नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट के हाल में दिए गए उस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को रोक लगा दी, जिसमें एक बच्ची को कपड़े के ऊपर से दबोचे जाने को हाईकोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत यौन हमला मानने से इनकार कर दिया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि त्वचा से संपर्क हुए बिना बच्ची को गलत ढंग से पकड़ना यौन अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा फैसला भविष्य के लिए काफी खतरनाक साबित हो सकता है। चीफ जस्टिस बोबडे की पीठ ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए आरोपियों को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने आरोपियों को दो हफ्तों में अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। 

क्या है ममाला 

दरअसल बीते 19 जनवरी को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी ने भले ही बच्ची के सीने को पकड़ा हो, लेकिन उसने कपड़े के ऊपर से ऐसा किया था, इसलिए उसकी हरकत को यौन हमला नहीं माना जा सकता। आरोपी जब तक कपड़े नहीं हटाता उसका अपराध यौन हमला नहीं माना जाएगा। बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर की एकल पीठ की जज पुष्पा गनेडवाला ने यह दलील देते हुए 39 साल के आरोपी को पोक्सो एक्ट के तहत सज़ा सुनाने से इनकार कर दिया था। 

इसके बाद से ही सोशल मीडिया पर बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले और तर्क की आलोचना की जाने लगी। फैसले पर विवाद बढ़ने के बाद यूथ बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस फैसले पर फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। 

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट का यह फैसला भविष्य के लिए एक खतरनाक उदाहरण बन सकता है। वेणुगोपाल के कहने का मतलब यह था कि आगे आने वाले समय में दूसरे मामलों में हाई कोर्ट के इस फैसले का उदाहरण देकर आरोपी यौन अपराध करने के बावजूद राहत पा सकते हैं।