मुंबई। हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र की तबीयत सोमवार सुबह अचानक बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जानकारी के अनुसार, उन्हें सांस लेने में गंभीर तकलीफ हुई जिसके चलते डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा है। डॉक्टरों की एक विशेष टीम लगातार उनकी हालत पर नजर बनाए हुए है। बताया गया है कि अगले 72 घंटे उनके लिए बेहद अहम माने जा रहे हैं।

परिवार की ओर से अभिनेता की स्थिति को लेकर सकारात्मक बयान सामने आया है। सनी देओल की टीम ने कहा, “यह सिर्फ अफवाहें हैं। धर्मेंद्र जी बेहतर हो रहे हैं और ऑब्जर्वेशन में हैं। घबराने की कोई बात नहीं है।” परिवार के मुताबिक, धर्मेंद्र के बेटे सनी और बॉबी देओल, पत्नी हेमा मालिनी और अन्य परिजन अस्पताल में मौजूद हैं। वहीं, उनकी बेटियों को अमेरिका से बुलाया गया है। धर्मेंद्र की देखरेख में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगी हुई है। हाल ही में धर्मेंद्र अपनी आगामी फिल्म इक्कीस के ट्रेलर रिलीज के दौरान चर्चा में आए थे जिसमें उन्होंने अपने उम्र को मात देती ऊर्जा और अदाकारी से सबको प्रभावित किया था।

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भारतीय सिनेमा में धर्मेंद्र को हैंडसम हीरो कहा जाता है। ये खिताब उन्हें यूं ही नहीं मिला। एक बार की बात है जब देव आनंद ने उन्हें देखकर कहा था,“हे भगवान, तूने मुझे ये शक्ल क्यों नहीं दी?” वहीं, दिलीप कुमार ने कहा था कि अगर अगला जन्म मिले तो वे धर्मेंद्र जैसी शक्ल और शख्सियत चाहते हैं। धर्मेंद्र खुद भी दिलीप कुमार के कट्टर प्रशंसक रहे हैं। वे अक्सर कहा करते थे कि फिल्म इंडस्ट्री में आने की प्रेरणा उन्हें दिलीप कुमार की फिल्म शहीद देखकर मिली थी। दसवीं कक्षा में जब उन्होंने वह फिल्म देखी तभी से उन्होंने ठान लिया था कि एक दिन वे भी पर्दे पर वही जादू कर देंगे।

निर्देशक अशोक त्यागी के अनुसार, जब धर्मेंद्र मुंबई आए और फिल्मफेयर टैलेंट हंट का हिस्सा बने तो उन्हें शूटिंग सेट पर ले जाया गया। वहां, देव आनंद शूटिंग कर रहे थे। इस दौरान दूर खड़े धर्मेंद्र को देखकर देव आनंद बोले “हे भगवान, ये चेहरा मुझे क्यों नहीं दिया?” वे धर्मेंद्र की पर्सनैलिटी से इतने प्रभावित हुए कि उन्हें बुलाकर अपना लंच शेयर किया। यही वह दिन था जब धर्मेंद्र ने पहली बार इंग्लिश टाइप लंच बॉक्स देखा था। बाद में जब दोनों ने रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ जैसी फिल्मों में साथ काम किया तो उनके बीच दोस्ती और प्रतिस्पर्धा दोनों शुरु हो गई।

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फिल्म इंडस्ट्री तक पहुंचने की राह धर्मेंद्र के लिए आसान नहीं थी। उन्होंने कभी अभिनय की ट्रेनिंग नहीं ली थी। फिल्मफेयर टैलेंट हंट जीतने के बाद वे मुंबई पहुंचे थे। वहां वे फिल्ममेकर्स के दफ्तरों के चक्कर पैदल लगाते थे ताकि कुछ पैसे बचाकर कुछ खा सकें। कई रातें उन्होंने चने खाकर बेंच पर सोते हुए गुजारीं थी और कभी-कभी चना भी नसीब नहीं होता था।

धर्मेंद्र को पहला मौका निर्देशक अर्जुन हिंगोरानी ने फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे (1960) में दिया था। इस फिल्म के लिए उन्हें सिर्फ 51 रुपए मिले थे। बाद में हिंगोरानी के साथ उन्होंने कई फिल्में कीं लेकिन कभी पैसों की मांग नहीं की। वे हमेशा कहते थे कि फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने जितना पाया वह सब दर्शकों और शुभचिंतकों का प्यार है।

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निर्देशक अशोक त्यागी याद करते हैं कि धर्मेंद्र कहानी सुनाने में बहुत पारखी थे। एक बार उन्होंने कहा था, “जो डायरेक्टर अपनी कहानी ठीक से नहीं सुना सकता, वह फिल्म बना भी नहीं सकता।”
त्यागी ने बताया कि उन्होंने फिल्म मेरा ईमान की कहानी 10 दिन तक रटकर धर्मेंद्र को सुनाई थी जिसके बाद धर्मेंद्र ने उनकी पीठ थपथपाकर कहा, “अब तू फिल्म बना सकता है।”

कई दशक की सफलता के बावजूद धर्मेंद्र आज भी जमीन से जुड़े इंसान हैं। वे मुंबई की भागदौड़ से दूर लोनावला के फार्महाउस में रहना पसंद करते हैं। निर्देशक के सी. बोकाडिया कहते हैं,“धरम जी के अंदर अब भी वही ग्रामीण सादगी है। वे रिश्तों को बहुत अहमियत देते हैं। अगर किसी से उनका रिश्ता बन गया तो वो उसे जिंदगीभर निभाते हैं।”

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306 फिल्मों में नजर आ चुके धर्मेंद्र आज भी खुद को युवा और जोशीला मानते हैं। वे कहा करते हैं, “हॉलीवुड में 60 साल का एक्टर भी लव स्टोरी करता है तो यहां मुझे कौन रोक सकता है?”
वे कभी श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित के साथ एक रोमांटिक फिल्म करना चाहते थे ताकि साबित कर सकें कि रोमांस उम्र का नहीं दिल का खेल है।