दिल्ली के जंतर-मंतर पर मुरैना के युवक ने की आत्महत्या, बहन को अनुकंपा नौकरी न मिलने से था परेशान
मुरैना के लोकेंद्र सक्सेना ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर खुद को गोली मार ली। वे बहन की अनुकंपा नियुक्ति न मिलने से परेशान थे। बहनोई की मौत के बाद चार साल से शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे थे। परिवार ने सरकार से न्याय और कार्रवाई की मांग की है।
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में सोमवार सुबह जंतर-मंतर पर मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के 35 वर्षीय युवक ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। मृतक की पहचान अंबाह निवासी लोकेंद्र सक्सेना के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि लोकेंद्र अपनी बड़ी बहन को अनुकंपा नियुक्ति न मिलने से पिछले कई महीनों से मानसिक तनाव में था।
पुलिस के मुताबिक, घटना सोमवार सुबह हुई जब जंतर-मंतर क्षेत्र में मौजूद लोगों ने गोली चलने की आवाज सुनी। मौके पर पहुंची दिल्ली पुलिस ने देखा कि एक युवक खून से लथपथ पड़ा था। उसके पास से एक पिस्तौल बरामद की गई। शुरुआती जांच में पता चला कि उसने खुद को सिर में गोली मारी थी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और परिजनों को सूचना दे दी है।
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लोकेंद्र रविवार दोपहर तक अपने घर अंबाह में ही था। शाम को उसने दिल्ली जाने की बात कही। परिवार को लगा कि वह हमेशा की तरह किसी सामाजिक या जन आंदोलन में हिस्सा लेने जा रहा है। लोकेंद्र पहले भी अन्ना हजारे के आंदोलनों में शामिल हो चुका था। सोमवार सुबह जब दिल्ली पुलिस ने उनके सुसाइड की खबर दी तो परिवार में मातम छा गया।
परिवार के अनुसार, लोकेंद्र की बड़ी बहन रश्मि सक्सेना के पति आदित्य सक्सेना शिक्षा विभाग में शिक्षक थे। साल 2019 में इंदौर जाते समय हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई थी। इसके बाद से रश्मि सक्सेना अनुकंपा नियुक्ति के लिए संघर्ष कर रही थीं। बीईओ, डीईओ और कलेक्टर कार्यालयों में कई बार आवेदन देने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
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करीब दो महीने पहले लोकेंद्र खुद बहन की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय और गृह मंत्री अमित शाह को आवेदन सौंपने दिल्ली गए थे। गृह मंत्रालय से 41 दिन में समाधान का आश्वासन मिला था पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। बताया जा रहा है कि इसी लंबी प्रशासनिक देरी और उपेक्षा से वे पूरी तरह टूट चुके थे।
लोकेंद्र के चाचा राजेंद्र सक्सेना ने बताया कि मृतक के पास कोई हथियार नहीं था। उन्होंने कहा, “हमें समझ नहीं आ रहा कि उसने पिस्तौल कहां से लाई। सुबह दिल्ली पुलिस का फोन आया कि लोकेंद्र ने जंतर-मंतर पर खुद को गोली मार ली है। परिवार इस खबर से सदमे में है।” परिवार अब दिल्ली पहुंच चुका है।
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लोकेंद्र चार भाई-बहनों में सबसे बड़ा था। पिता की सात साल पहले कैंसर से मौत हो चुकी थी। जबकि, मां लीवर की बीमारी से जूझ रही हैं। परिवार की पूरी जिम्मेदारी लोकेंद्र के कंधों पर था। उसने खुद शादी नहीं की बल्कि छोटे भाई शैलेंद्र की शादी कराई थी। गांव में उसकी एक कोल्ड ड्रिंक की दुकान थी जिसे वे खुद चलाता था।
रश्मि सक्सेना ने बताया कि उन्हें भी सोमवार को अपने भाई के साथ जंतर-मंतर पर धरने में शामिल होना था। इसके लिए उन्होंने पहले से अनुमति भी ली थी लेकिन अचानक तबीयत खराब हो जाने के कारण नहीं जा सकीं। उन्होंने बताया, “सुबह करीब साढ़े सात बजे आखिरी बार लोकेंद्र से बात हुई थी। उसने कहा था कि वह धरना स्थल पर पहुंच चुका है। कुछ घंटे बाद खबर आई कि उसने खुद को गोली मार ली।”
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रश्मि सक्सेना का कहना है कि चार साल से लगातार दर-दर भटकने के बावजूद सरकार और प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की। रश्मि ने कहा,”कभी कहा गया जल्द निराकरण होगा, कभी कोर्ट जाने की सलाह दी गई। भाई इसी चक्कर में टूट गया। यह केवल एक परिवार की नहीं सिस्टम की विफलता है।” परिवार ने सरकार से मामले की निष्पक्ष जांच और अनुकंपा नियुक्ति में हुई देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है।




