नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को 12 घंटे की चर्चा के बाद वक्फ संशोधन बिल पास हो गया। रात 2 बजे हुई वोटिंग में 520 सांसदों ने भाग लिया। 288 सांसदों ने बिल के पक्ष में और 232 ने बिल के विपक्ष में वोट डाले। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया है। आज यह बिल राज्यसभा में पेश होगा।
सोनिया गांधी ने गुरुवार को कांग्रेस पार्लियामेंट्री पार्टी (CPP) की बैठक में कहा कि केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में जबरन पारित करवाया है। यह विधेयक संविधान पर एक हमला है। यह हमारे समाज को स्थायी रूप से तोड़ने की भाजपा की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
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सोनिया ने कांग्रेस सांसदों से कहा, 'मोदी सरकार देश को रसातल में ले जा रही है। वह संविधान को ध्वस्त करना चाहते हैं। संविधान केवल कागजों पर रह जाएगा। वन नेशन-वन इलेक्शन बिल भी संविधान का एक और उल्लंघन है। हम इसका विरोध करेंगे। कांग्रेस सांसद मोदी सरकार की भारत को निगरानी राज्य में बदलने की मंशा को उजागर करें।'
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अगर हमने यह संशोधन बिल पेश नहीं किया होता, तो जिस इमारत में हम बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था। अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में नहीं आती तो कई अन्य संपत्तियां भी गैर-अधिसूचित हो गई होतीं।
रिजीजू ने कहा कि आजादी के बाद 1954 में वक्फ एक्ट पहली बार बना। उस समय स्टेट वक्फ बोर्ड का भी प्रावधान किया गया था। उस वक्त से कई संशोधनों के बाद 1995 में वक्फ एक्ट बना। उस वक्त किसी ने नहीं कहा कि ये गैरसंवैधानिक है। आज जब हम उसी बिल को सुधारकर ला रहे हैं तो आप कह रहे हैं कि यह गैरसंवैधानिक है। आप सब कुछ छोड़कर जिसका लेना-देना नहीं है, उसका जिक्र कर लोगों को बरगला रहे हैं।