मध्‍यप्रदेश के एक आईएएस ने इस्‍तीफा दिया तो कयास लगाए गए कि वे चुनाव मैदान में उतरेंगे। आईएएस वरदमूर्ति मिश्रा का इस्‍तीफा स्‍वीकार हो गया है। अभी उन्‍होंने पत्‍ते नहीं खोले हैं कि वे किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। इस बीच एक और रिटायर्ड आईएएस राजेश बहुगुणा ने कुछ ऐसा कह दिया कि उनके कहे के पॉलिटिकल मंतव्‍य निकाला जाने लगा है।  

एमपी कैडर के रिटायर्ड आईएएस राजेश बहुगुणा ने सोशल मीडिया पोस्‍ट के जरिए प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उनकी यह पोस्‍ट सीधे मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सवाल है। उन्होंने शिवराज कैबिनेट द्वारा बुधनी में मेडिकल कॉलेज खोले जाने पर सवाल उठाए हैं। आबकारी आयुक्त और कलेक्टर रह चुके प्रमोटी आईएएस बहुगुणा ने लिखा है कि कोई यह प्रश्न उठाएगा कि जब कटनी, बुरहानपुर नीमच देवास जैसे बड़े शहरों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं और धार, बालाघाट, शाजापुर, बड़वानी, खरगोन, बैतूल होशंगाबाद, मंदसौर, टीकमगढ़, सीधी जैसे जिला मुख्यालयों में मेडिकल कॉलेज नहीं हैं तो तहसील मुख्‍यालय बुधनी में मेडिकल कॉलेज क्यों खोला जा रहा है?

बुधनी मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र हैं इसलिए मेडिकल कॉलेज खोला जा रहा है। राजनीतिक नफे के लिए हो रहे ऐसे निर्णयों के हश्र की तरफ इशारा करते हुए गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा के क्षेत्र दतिया का उल्‍लेख किया है। जिला मुख्यालय दतिया में 6 साल पहले खोले गए मेडिकल कॉलेज का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा कि झांसी से 25 किलोमीटर और ग्वालियर से 70 किमी दूर छोटे से जिला मुख्यालय दतिया में आज से 6 वर्ष पूर्व खुले मेडिकल कॉलेज का हाल पता कर लें, कौव्वे बोलते हैं। सभी बीमार झांसी या ग्वालियर जाते हैं। बुधनी का भी यही हाल होना है।

राजेश बहुगुणा का यह कहना बहुत मायने रखता है कि जनता और जनप्रतिनिधि सोए हुए हैं या वंदना में लीन हैं। नौकरशाह तो क्या कहें? उन्होंने क्या और क्यों अनुशंसा की है? क्या पहले प्राथमिकता में सभी जिला मुख्यालयों में मेडिकल कॉलेज नहीं खोले जाने चाहिए थे? क्या बुधनी की जगह सीहोर या आष्टा मेडिकल कॉलेज के लिए उपयुक्त जगह नहीं हैं।

राजेश बहुगुणा की इस पोस्‍ट के बाद यह कयास लगाना आसान है कि एक और आईएएस राजनीति में आने की तैयारी कर रहा है। मगर बात केवल इतनी ही नहीं है। गौर से देखेंगे तो यह उस ब्‍यूरोक्रेसी की आवाज है जो सरकार के निर्णयों पर अपनी आपत्ति दर्ज नहीं करवा पा रही है। ब्‍यूरोक्रेट हुक्‍म को तामील करने के फेर में सही गलत का अंतर करना छोड़ चुके हैं। राजेश बहुगुणा की आवाज ‘यस सर’ कहते कहते पक चुकी ब्‍यूरोक्रेसी का बयान समझा जाना चाहिए। क्‍योंकि खुद उन्‍होंने ही लिखा है कि नौकरशाहों ने मेडिकल कॉलेज खोलने की संभावना का सही आकलन क्‍यों नहीं किया? क्‍यों नौकरशाह नेताओं की हां में हां मिलाते हैं?

अब तक अनौपचारिक चर्चाओं में या दबे छिपे शब्‍दों में शासन-प्रशासन के निर्णयों की आलोचना की जाती थी। अब रिटायर्ड अफसर खुल कर बोल रहे हैं। राजेश बहुगुणा जैसे आईएएस का नौकरशाही पर उठाया गया सवाल महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि मध्‍य प्रदेश ने ऐसे दबंग और कुशल अफसर देखे हैं जो गलत को गलत कहने में गुरेज नहीं करते थे। नेतृत्‍व भी अपने अफसरों की असहमतियों का सम्‍मान करता था।

यह निर्णय भले ही आचार संहिता के दायरे में नहीं आता है, मगर ब्‍यूरोक्रेसी कैसे काम कर रही है, इसका उदाहरण एक कदम से मिलता है। छिंदवाड़ा में सहायक आबकारी आयुक्त ने चुनाव खर्च में शराब का खर्च भी शामिल किए जाने संबंधी आदेश जारी कर दिया। कांग्रेस ने आपत्ति जताते हुए चुनाव आयोग को शिकायत की है कि छिंदवाड़ा के सहायक आबकारी आयुक्त माधुसिंह भयड़िया द्वारा 6 जून 2022 को कार्यालयीन पत्र जारी कर देशी-विदेशी शराब की बिक्री के संबंध में दरें निर्धारित की गई है एवं पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि उक्त दरें निर्वाचन व्यय मॉनिटरिंग के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। खबरें तो यह भी आई कि इस आदेश के बाद मतदाताओं ने उम्‍मीदवारों से शराब या उसके लिए पैसा मांगना शुरू कर दिया। वोट के लिए शराब देना कतई स्‍वीकार नहीं किया जा सकता है मगर इस नैतिक व संवैधानिक आधार के टूट जाने की फिक्र किसे है?

आईएएस के फोटोग्राफी और मार्शल आर्ट प्रेम के मायने 

राजधानी में पदस्‍थ आईएएस गिरीश शर्मा अपनी फोटोग्राफी के लिए सोशल मीडिया पर काफी प्रशंसा पा रहे हैं। उनके क्लिक किए गए फोटो में प्रकृति का सौंदर्य ही नहीं, जीवन के विविध अंगों के कई अनछूए पहलुओं को देखा जा सकता है। रंगों के प्रयोग के बीच ये फोटोग्राफ सामाजिक मुद्दों को भी गहराई से छूते हैं।

दूसरी तरफ, भोपाल के पड़ोसी जिले सीहोर के कलेक्टर चंद्रमोहन ठाकुर के नाम एक नया रिकार्ड दर्ज हुआ। वे कराटे में यलो बेल्ट हासिल करने वाले प्रदेश के पहले आईएएस अफसर बन बन गए हैं। इसके लिए उन्होंने तीन माह तक अभ्यास किया। उनके साथ छह वर्षीय बेटी अक्षरा ठाकुर ने भी यलो बेल्ट हासिल किया है।

सीहोर कलेक्‍टर चंद्रमोहन ठाकुर के पहले आईएएस अनय द्विवेदी चर्चा में आए थे। तब वे खंडवा के कलेक्‍टर थे और एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें अनय द्विवेदी को योगासन करते दिखाई दिए थे।

वैसे तो यह अफसरों के कौशल और रूचियों के प्रदर्शन का मामला है मगर आलोचक इसका दूसरा पक्ष देख रहे हैं। उनका आकलन है कि कलेक्‍टर जैसे व्‍यस्‍त अधिकारी के पास इतना समय कहां होता है कि वह अपने शौक का पूरा कर सके। मध्‍य प्रदेश में अफसरों के लिए मन का काम करने की गुंजाइश लगातार घटती जा रही है, यही कारण है कि कलेक्‍टर और अन्‍य आईएएस स्‍वयं को किन्‍हीं कार्यों में व्‍यस्‍त रखे हुए हैं।

मंत्रालय में मिठाई बंटने का इंतजार...

यह साल प्रशासनिक रुप से बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी वजह दिसंबर में नए प्रशासनिक मुखिया की आमद है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस नवंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। प्रशासनिक जगत में यह सवाल बना हुआ है कि बैंस का क्‍या होगा? क्‍या उन्‍हें एक्‍सटेंशन मिलेगा या उनकी जगह कोई नया मुखिया कमान संभालेगा। बैंस की प्रशासनिक क्षमताओं पर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बहुत भरोसा है और इसी कारण कयास लगाए जा रहे हैं कि मुख्‍यमंत्री चौहान उनकी सेवावृद्धि का प्रस्‍ताव केंद्र को भेजेंगे। विधानसभा चुनाव 2023 की दृष्टि से भी बैंस के कार्यकाल को छह माह बढ़ाया जा सकता है। सीएस बैंस के समर्थक यही दुआ कर रहे हैं कि बैंस को सेवावृद्धि मिल जाए। वे बने रहेंगे तो उनके पसंदीदा अफसरों का जलाल भी बना रहेगा।

दूसरी ओर, बड़ी संख्‍या में आईएएस प्रशासनिक मुखिया के बदलने का इंतजार कर रहे हैं। ये वे आईएएस हैं जिन्‍हें सख्‍त प्रशासक माने जाने वाले सीएस इकबाल सिंह बैंस के कारण मैदानी पोस्टिंग नहीं मिल पा रही हैं। इन अफसरों में 2010, 2011, 2012 के आईएएस शामिल हैं जो चुनाव के पहले मैदान में पहुंच जाना चाहते हैं। इन बैच के कुछ अफसर तो कलेक्‍टर बन चुके हैं लेकिन बाकी प्रतीक्षा में हैं। ये मैदानी पोस्टिंग के लिए मुख्‍यसचिव की रजामंदी का इंतजार ही कर रहे हैं। अब इन्‍हें उम्‍मीद है कि प्रशासकिन मुखिया के बदलने के बाद ही उनके सपने पूरे होंगे। अन्‍यथा मैदानी पोस्टिंग पाने की हसरत दिल की दिल में ही रह जाएगी।

दोनों ओर से दुआओं का दौर जारी है। मंत्रालय में मिठाई बंटना तो तय है। देखना होगा कि बैंस के कार्यकाल में वृद्धि पर समर्थक मिठाई बांटते हैं या उनके जाने पर राहत पा कर असंतुष्‍ट आईएएस मिठाई बांटते हैं।