प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक तरफ देश को आत्मनिर्भर होने की नसीहत देते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्र सरकार चीनी कंपनी को देश में निर्माण कार्यों का ठेका दे रही है। वह भी उस समय जब देश में मेड इन चाइना के खिलाफ लोग मुखर हैं। लद्दाख में चीन की करतूत से भी लोगों में गुस्सा है। ऐसे में 12 जून को केंद्र सरकार ने दिल्ली-मेरठ सेमी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर का ठेका एक चीनी कंपनी को दे दिया है।

इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-मेरठ RRTS कॉरिडोर के अंतर्गत न्यू अशोक नगर से साहिबाबाद के बीच 5.6 किमी तक अंडरग्राउंड सेक्शन का निर्माण होना है। दोनों देशों में तनाव के बीच इस चीनी कंपनी को करीब 1100 करोड़ रुपये का ठेका देने पर कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने ही नहीं स्‍वदेशी जागरण मंच ने भी मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है।

स्वदेशी जागरण मंच ने चीनी कंपनी का ठेका रद्द करने की मांग की

इस चीनी कंपनी ने सबसे कम बोली लगा कर यह ठेका हासिल किया है। स्वदेशी जागरण मंच ने पीएम मोदी से इस बोली को रद्द करने की मांग की है। स्वदेशी जागरण मंच की मांग है कि चीनी कंपनी के इस ठेके को तुरंत रद्द करते हुए इसे किसी भारतीय कंपनी को दिया जाए। मंच ने कहा कि एक तरफ सरकार देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात कर रही है। अगर वह वास्तव में ऐसा चाहती है तो ऐसी बड़ी और महत्वपूर्ण परियोजनाओं में चीनी कंपनियों के शामिल होने पर बैन लगाए।

12 जून को हुई थी बिडिंग की प्रोसेस

आपको बता दें कि 12 जून को बिडिंग की प्रोसेस हुई थी जिसमें पांच कंपनियों ने बोली लगाई थी। चीनी कंपनी STEC ने सबसे कम 1,126 करोड़ रुपये की बोली लगाई। भारतीय कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो (L&T) ने 1,170 करोड़ रुपये की बोली लगाई। एक और भारतीय कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स और एसकेईसी के जेवी ने 1,346 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी। चीन की शंघाई टनल इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड सबसे कम रकम की बोली लगाने वाली कंपनी बनी थी। इस पूरे प्रोजेक्ट का प्रबंधन नेशनल कैपिटल रीजन ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा किया जा रहा है।

गौरतलब है कि भारत-चीन सीमा को लेकर लद्दाख में काफी तनाव है। मंगलवार को ही चीनी सेना और भारतीय सेना के बीच हिंसक झड़प हुई। जिसमें सेना के एक अधिकारी समेत कम से कम 20 जवान शहीद हो गए हैं। ऐसे समय में चीनी कंपनी को काम देने के मोदी सरकार के इस फैसले पर कई लोग सवाल उठा रहे हैं।