ट्रेड यूनियनों ने श्रम कानूनों के एक तरफा खात्मे, सार्वजनिक क्षेत्रों के अंधाधुंध निजीकरण की घोषणा, प्रवासी मजदूरों की बदहाली के खिलाफ पूरे प्रदेश में सभी केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने जोरदार विरोध दर्ज करवाया।

पूरे प्रदेश में श्रमिकों और कर्मचारियों ने नए-नए स्वरूप में विरोध की कार्रवाई की। जो भी श्रमिक या कर्मचारी जहां भी रहा, चाहे अपने उद्योग में, कार्यालय में या फिर घर में, सभी ने हाथों में तख्तियां लेकर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए सभी ने केंद्र सरकार की कॉर्पोरेट परस्त नीतियों का विरोध किया।

श्रमिक संगठनों का आरोप है कि कोविड-19 की आड़ में केंद्र सरकार अपने कार्पोरेट परस्त एजेंडे को ताबड़तोड़ लागू कर रही है। इसी क्रम में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा श्रम कानूनों को ध्वस्त कर हायर एंड फायर के हालात बना दिए गए हैं।  लॉक डाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों के हालात दयनीय हो गए हैं।

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दूसरी तरफ शिवराज सरकार ने श्रम सुधारों के नाम पर कारखानों में 12 घंटे की शिफ्ट, श्रम कानूनों के परिपालन के लिए निरीक्षण पर रोक एवं संस्थानों में 18 घंटे का काम करने की व्यवस्था कायम करने की घोषणा की है। श्रमिकों का आरोप है कि सरकार का यह निर्णय अन्यायकारी, एकतरफा और भेदभाव पूर्ण है। ट्रेड यूनियनों के मुताबिक यदि सरकार मजदूर विरोधी निर्णय को वापस नहीं लेगी तो आने वाले समय में आंदोलन और तेज किया जाएगा।