श्रम और मंडी कानून में बदलाव तुरंत रद्द करें: दिग्विजय सिंह

पहले भी 22 पत्र भेज कर दिए सुझाव, शिवराज ने जवाब तक नहीं दिया

Publish: May 16, 2020, 10:28 PM IST

कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह कोरोना लॉकडाउन में नीति के संबंध में सुझाव दिए हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनसे चर्चा कर ये सुझाव मांगे थे। सिंह ने कहा है कि आपने पूर्व में भी मुझसे सुझाव मांगे थे जो मैंने 10 अप्रैल 2020 को भेजे थे। इसके बाद मैंने आपको अन्य 22 पत्रों के माध्यम से और भी सुझाव दिये थे। आपने उन पत्रों पर क्या कार्रवाई की यह मुझे पता नहीं लेकिन मुझे इस बात का दु:ख है कि आपने उन पत्रों के प्राप्त होने की सूचना तक मुझे नहीं दी।

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सिंह ने लिखा है कि मुझे इस बात का दु:ख है कि इस समय जब पूरे देश के मजदूर अत्यधिक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। तब आपने मजदूरों के हित में मौजूदा श्रम कानून को परिवर्तित करने का जो निर्णय लिया है उसे मैं घोर मजदूर विरोधी मानता हूँ। यदि आपको निर्णय लेना ही था तो पहले सभी मजदूर संगठनों से चर्चा करके ही लिया जाना चाहिए था। इसलिए अनुरोध है कि मजदूरों के खिलाफ लाये गये अध्यादेश को आप तत्काल वापस लें। कृपया मेरे सुझाव पर लिये गये निर्णय की मुझे जानकारी देने का कष्ट करें, ताकि मुझे पता चल सके कि आपने मेरे किन सुझावों को आपने स्वीकार किया। सिंह ने पत्र में बिंदुवार सुझाव दिए हैं।

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थाना क्षेत्र के आधार पर हो जोन विभाजन

पूरे जिले को रेड, औरेंज एवं ग्रीन ज़ोन में विभाजित करने की बजाय इसे थाना क्षेत्र के आधार पर चिन्हित किया जाये।  रेड ज़ोन में वे सभी थाना क्षेत्र हों जहां 10 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव के एक्टिव केस हों। इस थाना क्षेत्र में जिस मोहल्ले या गली में यह सीमित है उसे हॉट स्पॉट और कंटेनमेंट क्षेत्र घोषित किया जाये। इन थाना क्षेत्र में स्थिति सामान्य होने तक पूर्ण लॉकडाउन रखा जाये। जिस क्षेत्र में 10 से कम एक्टिव केस हैं उसे ऑरेंज ज़ोन में रखा जाये। रेड ज़ोन थाना क्षेत्रों से लगे हुए थानों को भी ऑरेंज ज़ोन में रखा जाना चाहिए और उसमें लॉकडाउन को सीमित रूप से खोला जाना चाहिए। ग्रीन ज़ोन में वे थाना क्षेत्र हों जिनमें 1 भी कोरोना पॉजिटिव एक्टिव केस नहीं हैं। उन्हे पूर्णतः खोल देना चाहिए।

ज़ोनवार खुले जन सुविधाएं

रेड ज़ोन में केवल अस्पताल एवं दवाई की दुकानें 24 घंटे खोली जानी चाहिए। किराने की दुकानों को सीमित समय के लिये नियंत्रित करके खोलना चाहिए। रेड ज़ोन के हॉट स्पॉट में प्रशासन लोगों को हर गली एवं मोहल्ले में अत्यावश्यक सेवाऐं उपलब्ध करायें। ऑरेंज ज़ोन के हर मोहल्ले में सब्जी, फल, दूध, किराना आदि की दुकानें नियंत्रित तरीके से खोली जानी चाहिए। अधिक दुकानें होने पर इन्हे अलग-अलग दिनों में खोलने की छूट दी जानी चाहिए। ग्रीन ज़ोन में पहले 15 दिनों के लिये बाजार को अधिकतम खोल देना चाहिए एवं स्थिति पर नज़र रखनी चाहिए। यदि यह सफल होता है तो समय सीमा आगे बढ़ाई जाये। हाथठेला/स्ट्रीट वेंडर को भी इस क्षेत्र में काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए। ग्रीन ज़ोन में आने वाले चाय की दुकानें, रेस्टोरेंट थाना होटल भी खोल दिया जाना चाहिए लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की बाध्यता होना चाहिए। ग्रीन ज़ोन में मॉल, सिनेमा हॉल आदि नहीं खोलने चाहिए।

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10 वीं से ऊपर की कक्षाएं 1 जुलाई से

कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित दो वर्ग होते हैं 0 से 14 वर्ष के बच्चे और 60 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ट नागरिक जिनका प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर है। फिलहाल 30 जून 2020 तक सभी स्कूल बंद रखे जाने चाहिए लेकिन 10 कक्षा के उपर और कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षण संस्थाएं 1 जुलाई से प्रारंभ करने का निर्णय लेना चाहिए। रेड और ऑरेंज ज़ोन में रहने वाले छात्र-छात्राएं जो ग्रीन ज़ोन के स्कूलों में पढ़ने जाते हैं उन सभी का और उनके परिवारों का 30 जून के पहले कोरोना टेस्ट कराने की बाध्यता होनी चाहिए।

राशन वितरण में पारदर्शिता हो

राशनकार्डधारी परिवारों को जून तक का राशन दिया जा चुका है और केन्द्र सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिये मुफ्त में 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति एवं 1 किलो चना प्रति परिवार प्रतिमाह दो महिनों के लिये देने की घोषणा की है। मेरा आपको सुझाव है कि इसके वितरण में पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए। मुझे शिकायतें मिल रही हैं कि प्रशासन द्वारा यह खाद्यान राजनीतिक दल विशेष के चुनिंदा व्यक्तियों के माध्यम से बांटा जा रहा है। राशन की दुकानों द्वारा रेड ज़ोन और ऑरेंज ज़ोन में रहने वाले लोगों के लिये यह राशन पैकेट बनाकर उनके घरों तक पहुंचाना चाहिए।

घर पर उपचार सुविधा प्रदान करें

अभी भी जितने लोगों की कोरोना जांच होना चाहिए वह नहीं हो पा रही है। विशेषकर रेड ज़ोन और ऑरेंज ज़ोन में अधिक से अधिक लोगों की यह जांच कराने की आवश्यकता है। भोपाल शहर में कोरोना से लगभग 60 से 70 प्रतिशत मृत्यु उन लोगों की हुई है जो गैस पीड़ित थे। इ‍सलिए गैस पीड़ित परिवारों में सघन जांच कराने की आवश्यकता है। कोरोना के कारण अस्पतालों में अन्य बीमारियों के उपचार में परेशानियां हो रही हैं। इसलिये सभी अस्पतालों में एक निश्चित समय के लिये ओ.पी.डी. खोली जानी चाहिए। जिला और ब्लॉक स्तर पर डॉक्टर्स, नर्स, ए.एन.एम. आदि की टीम बनाकर लोगों को घरों में उपचार की सुविधा भी दी जा सकती है। समस्त गैर कोविड-19 अस्पतालों, विशेषकर प्रसूति चिकित्सालयों की सारी सुविधाएं तत्काल चालू करनी चाहिए। छोटे स्थानों अथवा जिलों से यह शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि गंभीर मरीजों को न तो वहां के अस्पतालों में उपचार मिल रहा है और न ही नियमानुसार रेफर किया जा रहा है तथा मौखिक रूप से शहर अस्पतालों में ले जाने की सलाह दी जा रही है। ऐसे मरीजों को अस्पतालों द्वारा नियमानुसार अविलंब रेफर किया जाना चाहिए तथा शहरों तक जाने के लिये उन्हे किसी पास की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। बाहर से आने वाले मजदूरों को व जिस परिवार में कोरोना पॉजिटिव पाया जाता है उन्हे अपने घर में ही सेल्फ आइसोलेशन की बाध्यता होनी चाहिए तथा प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य सरकार आइसोलेशन सेंटर तैयार कर उन्हे मानवीय गरिमा के अनुकूल आइसोलेशन में रखें।

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मनरेगा में अधिक से अधिक काम प्रारंभ हो

जो मजदूर बाहर से काम करके लौट रहे हैं उन्हे कई स्थानों पर गांव वाले गांव में ही नहीं घुसने दे रहे हैं। उनके लिये पंचायत/विकासखंड स्तर पर क्वारेंटीन सेंटर बनाकर उन्हें क्वारेंटीन किया जाना चाहिए। इसके लिये गांव में स्थित स्कूल, पंचायत भवन एवं अन्य शासकीय भवनों का उपयोग किया जाना चाहिए और मजदूरों के खाने-पीने के समुचित व्यवस्थाएं की जानी चाहिए। केन्द्र सरकार द्वारा मुफ्त में खाद्यान सामग्री देने का जो निर्णय हुआ है उसका पारदर्शिता के साथ पालन करवायें। ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के अधिक से अधिक काम प्रारंभ किये जायें और जिन्हे काम नहीं मिल पा रहा है उन्हे मनरेगा एक्ट के अंतर्गत 31 जुलाई तक नियमानुसार दैनिक भत्ता दिया जाये। मध्यप्रदेश से प्रतिवर्ष लाखों मजदूर अन्य प्रांतों में मजदूरी करने के लिये जाते हैं उन सभी परिवारों का पंजीयन अनिवार्य रूप से होना चाहिए। इसके लिये पृथक से साफ्टवेयर तैयार हो जिसमें उन्हे ले जाने वाले ठेकेदार का भी पंजीयन अनिवार्य रूप से किया जाये। मजदूरों के ठेकेदारों से एक निश्चित राशि बैंक की गारंटी के रूप में शासन को लेना चाहिए ताकि मजदूरों के हितों का सरंक्षण हो सके।

शहरों में कॉलोनाईजर/बिल्डर्स के पास काम करने वाले मजदूरों को 31 जुलाई 2020 तक प्रोत्साहन के रूप में राज्य सरकार को कोई योजना बनानी चाहिए जिसका व्यय श्रमिक एवं कर्मकार कल्याण मंडल के माध्यम से किया जा सकता है। जो मजदूर मध्यप्रदेश के बाहर से लौटे हैं उनमें से अनेक मजदूर कुशल या अर्धकुशल हैं उनका लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में पंजीयन कराया जाना चाहिए तथा उनकी सूचना बिल्डर्स एसोसियेशन को भी दी जानी चाहिए ताकि उन्हें काम उपलब्ध हो सके।

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किसानों का लंबित भुगतान तुरंत करें

किसानों के लिये गेहूँ, चना, मूंग की खरीदी की व्यवस्था के साथ खरीफ फसल की बुआई के लिये खाद्य, बीज आदि का प्रबंध अग्रिम रूप से करना आवश्यक होगा। किसानों से अभी तक उपार्जित किये गये गेहूँ के लगभग 8000-9000 करोड़ रूपये भुगतान हेतु लंबित है। इन किसानों को उनकी फसल का तत्काल भुगतान किया जाये। कोरोना संकट काल में मण्डी कानून में जो परिवर्तन आपके द्वारा अध्यादेश लाकर किये गये हैं वह उचित नहीं है। मण्डी कानून किसानों के हितों की सुरक्षा के लिये पूरे देश में लाये गये हैं। इन्हे बगैर सदन में चर्चा किये और किसानों के बगैर परामर्श के नहीं लाना चाहिए था। इस अध्यादेश को सरकार तत्काल वापस ले। कांग्रेस सरकार के समय किसानों की ऋण माफी हुई थी उस योजना को किसी भी हालत में निरस्त नहीं किया जाना चाहिए। प्रदेश में चने की खरीदी काफी धीमी गति से हो रही है एवं गुणवत्ता के नाम पर किसानों की चने की फसल को अस्वीकार किया जा रहा है।  किसानों की गेहूं की फसल विशेषकर धार, इंदौर, रतलाम, सीहोर, भोपाल, राजगढ़ एवं गुना में ट्रांसपोर्ट के साधन और बारदानों की कमी होने से मण्डी तक पहुंचाने के पूर्व उसकी सुरक्षा के लिये भी पर्याप्त इंतजाम किये जाने चाहिए।

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बसों-ट्रक का परमिट शुल्‍क माफ हो

समस्त ग्रीन ज़ोन में बस, ऑटो, टेक्सी एवं निजी वाहन प्रारंभ कर देना चाहिए लेकिन हर यात्रा के पहले सार्वजनिक परिवहन के साधनों को सेनेटाईज किया जाना अनिवार्य हो। इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का अनिवार्य रूप से पालन हो।राज्य के अंदर जिन मार्गों पर बसों के परमिट हैं उन्हे उन मार्गों पर चलाने की अनुमति दी जानी चाहिए लेकिन साथ ही ट्रांसपोर्टर्स को निर्देश भी दिये जाने चाहिए कि वे यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग करने के बाद ही उन्हे बस में सवार होने की इज़ाजत दें। बस और टैक्सी ऑपरेटरों को लॉकडाउन अवधि की मासिक परमिट शुल्क माफ की जानी चाहिए।

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इंदिरा गृह ज्योति योजना जारी रखें

इंदिरा गृह ज्योति योजना के अंतर्गत घरेलू उपभोक्ताओं को 150 यूनिट खपत होने तक 300 रू. से अधिक का बिल नहीं आया लेकिन उन्ही उपभोक्ताओं को अब 8 से 10 गुना अधिक बढ़ा हुआ बिल बिना रीडिंग के ही दिया जा रहा है। यह घोर आपत्तिजनक है अतः इंदिरा गृह ज्योति योजना को यथावत चालू रखना चाहिए।

कोरोना योद्धाओं को बोनस दें

कोरोना महामारी के दौरान स्वयं को खतरे में डालकर दिन-रात काम करने वाले स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों, प्रशासनिक व्यवस्थाओं में संलग्न शासकीय सेवकों, पुलिस कर्मियों एवं सफाई कर्मियों को उनके मूल वेतन का 33 प्रतिशत बोनस के रूप में जुलाई तक दिया जाना चाहिए।

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व्यापारियों को टैक्‍स, बिजली बिल में छूट

लॉकडाउन के दौरान व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के विद्युत उपभोक्ताओं को आगामी जुलाई माह तक बिजली बिल में 50 प्रतिशत की छूट दी जाये। व्यावसायिक भवनों व दुकानों आदि का 50 प्रतिशत सम्पत्तिकर जुलाई 2020 तक माफ किया जाये। वर्ष 2019-20 की हर जिले की कलेक्टर गाईडलाईन को वर्ष 2020-21 के लिये मान्य किया जाये। लॉकडाउन की स्थिति में संक्रमण को देखते हुए ऑनलाइन संपत्ति के पंजीयन की सुविधा उपलब्ध कराई जाना चाहिए। लॉक डाउन खुलने के उपरांत संपत्ति के पंजीयन के समय लगने वाले विभिन्न प्रकार के शुल्क जैसे स्टांप ड्यूटी, नगर निगम कर, पंचायत उपकर जो कि संपत्ति मूल्य का 12 प्रतिशत होता हैं उनको लॉकडाउन खोल ने से प्रथम 4 महीने के लिए 4 प्रतिशत तक कर दिया जाए। ऐसा करने से बहुत से लोग इस दौरान ज्यादा से ज्यादा रजिस्टंी कराने की कोशिश करेंगे। इससे राज्य सरकार को इन चार महीनों में एक साथ ज्यादा राजस्व मिल सकेगा जिससे राज्य सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी व रियल स्टेट सेक्टर को भी बूस्ट मिलेगा। रियल स्टेट को बूस्ट मिलने से और बहुत सारे छोटे-छोटे व्यापारियों ठेकेदारों एवं श्रमिक आदि को काम मिलेगा। 5. नगर निगम के कर जैसे संपत्ति कर जलकर जमा करने के लिए समस्त सुविधा प्राप्त कर्ताओं को 6 महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए। राजस्व विभाग में जमा होने वाले डायवर्जन का भू-भाटक कर जमा करने की अवधि से 1 साल की  समय सीमा वृद्धि की जाए जो कि ब्याज रहित व पेनल्टी रहित होनी चाहिए। मध्यप्रदेश शासन के द्वारा दी गई ऐसी सभी अनुमतियां जिनकी समय अवधि निश्चित है जैसे कॉलोनाइजर लाइसेंस, बिल्डिंग परमिशन, डेवलपमेंट परमिशन आदि उनको स्वतः ही 1 साल के लिए बढ़ा देना चाहिए। राज्य सरकार को जीएसटी काउंसिल को सुझाव देना चाहिए कि रियल एस्टेट सेक्टर में जीएसटी के इनपुट क्रेडिट को पुनः शुरू करने का प्रावधान करना चाहिए।सभी बिल्डर्स एवं डेवलपर्स के कार्यालयों में वाणिज्यिक विद्युत कनेक्शन एवं उनकी परियोजनाओं में टेंपरेरी विद्युत कनेक्शन होता है चूंकि लॉक डाउन की स्थिति में सभी बिल्डर एवं डेवलपर्स के कार्यालय एवं परियोजनाएं बंद है ऐसी स्थिति को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश शासन को भी बाकी अन्य राज्यों की तरह जैसे उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा आदि की तरह 3 महीनों के लिए विद्युत खपत का आकलन वास्तविक विद्युत खपत के आधार पर करना चाहिए ना की औसत विद्युत खपत के आधार पर एवं टेंपरेरी कनेक्शन की स्थिति में उन में लगने वाले फिक्स्ड शुल्क को भी समाप्त कर देना चाहिए जोकि काफी ज्यादा होता है। निर्माण सामग्री जैसे ईट, रेत, गिट्टी एवं सीमेंट आदि के परिवहन को खोला जाना चाहिए। नगर निगम क्षेत्र में लागू नियमों को पंचायत क्षेत्रों में भी समरूपता से लागू किया जाए।

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वरिष्ठ नागरिकों के घर भेजे दवाएं, पैसा

कोरोना वायरस से सबसे अधिक खतरा 60 वर्ष से अधिक के लोगों को रहता है। इस आयु के अधिकांश व्यक्ति मधुमेह एवं हदय रोग से ग्रसित हैं इनकी दवायें 3 माह के लिये रेडक्रॉस या अन्य एजेंसी से ऑनलाईन डिमाण्ड लेकर उनके निवास पर भेजने की सुविधा दी जाये। वरिष्ठ नागरिक बैंकों एवं एटीएम तक नहीं जा पा रहे हैं अतः माह में एक बार उनकी मांग पर बैंकों कर्मचारियों को उनके निवास पर जाकर नगद राशि उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाये। जिन लोगों को कोरोना के अलावा अन्य बीमारियां हैं उनकी अन्य पैथोलॉजिकल जांचे की सुविधा जो संभव हो उनके निवास पर ही उपलब्ध कराई जाये।

होटल एवं रेस्टोरेन्ट को छूट मिले

होटल एण्ड रेस्टोरेंट एसोसियेशन द्वारा मांग की जा रही है कि लॉकडाउन अवधि में होटल बंद रहने के कारण इस अवधि को छोड़कर विद्युत लोड फेक्टर इन्सेंटिव की गणना की जानी चाहिए। मैं उनकी मांगों से सहमत हूँ।विद्युत बिल वास्तविक रीडिंग के आधार पर दिये जाने चाहिए और लॉकडाउन अवधि में दिये गये औसत बिलों को मीटर रीडिंग के बाद दुरूस्त किया जाना चाहिए। इस अवधि की पावर फेक्टर पेनल्टी तथा तथा फिक्स विद्युत प्रभार को भी माफ करना चाहिए। विद्युत बिलों के भुगतान में 31 अक्टूबर 2020 तक छूट देनी चाहिए।  होटल उद्योग का सम्पत्तिकर, शासकीय लीज किराया एवं डायवर्जन टेक्स को या तो अगले एक वर्ष के लिये माफ किया जाना चाहिए या उसके दरों को न्यूनतम कर देना चाहिए।

ऑरेंज-ग्रीन जोन में उद्योग शुरू हों

ऑरेंज एवं ग्रीन ज़ोन के थानों में जो उद्योग हैं उन्हे कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए खोलने की अनुमति दी जाये। समस्त औद्योगिक इकाईयों के लिये 20 मार्च 2020 से 31 मई 2020 तक बिजली का बिल माफ किया जाये।

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जन जागरूकता अभियान

चूंकि वर्तमान हालातों को देखते हुए नागरिकों को लंबे समय तक कोरोना के साथ जीना होगा इसलिये नागरिकों को इस बारे में जागरूक करने के लिये सरकार को एक पेज का जानकारी पत्रक जनता के बीच बांटा जाना चाहिए जिसमें सतर्कता की जानकारी हो। इसमें बताया जाना चाहिए कि सार्वजनिक स्थानों और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर न जायें। दिन में 5-6 बार साबुन से हाथ धोंये। परिवार में पड़ोस में किसी को कोरोना के लक्षण हों तो तत्काल पंचायत के सरपंच, पंच, पंचायत सचिव अथवा आशा कार्यकर्ता को सूचित किया जाये। घर में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। लोगों से मिलते समय 3 से 6 फीट की दूरी बनाये रखें। घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनना अनिवार्य हो।