आज परम पावन नवरात्रि पर्व का प्रथम दिवस होने के साथ ही वर्षारम्भ भी है।सनातन संस्कृति के अनुसार आज से नववर्ष प्रारंभ हो रहा है। इसलिए हमारे पंचांग में भी आज से ही नवीन वर्ष मानते हैं।अब तक प्रमादी नाम का संवत्सर था और आज से आनंद नाम का संवत्सर प्रारंभ हो रहा है। इन नामों का प्रभाव भी दिखाई देता है। जिस प्रकार पिछला वर्ष "प्रमाद" में व्यतीत हुआ है उसके अनुसार अब "आनंद" संवत्सर में सबकुछ आनंद मय होगा।हमारे शास्त्रों के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि होती हैं।दो गुप्त और दो प्रकट।माघ शुक्ल प्रतिपदा से नौमी तक और आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नौमी तक दो गुप्त नवरात्रि, और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नौमी तक तथा चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नौमी तक प्रकट नवरात्रि पूजन होता है। आज से प्रत्येक सनातनी हिन्दू के घर में जगदम्बा की आराधना प्रारंभ होती है।शक्ति की उपासना के साथ ही हमलोग अपना वर्षारंभ करते हैं क्यूंकि जीवन की प्रत्येक दिशा में हमें शक्ति की आवश्यकता होती ही है। विद्या के लिए सरस्वती, धन के लिए लक्ष्मी, बल के लिए दुर्गा, भोजन के लिए अन्नपूर्णा के रुप में हम विविध स्वरूप में भासित होने वाली उस एक ही पराम्बा की आराधना करते हैं।आइए हमारी रक्षा के लिए प्रति क्षण तत्पर रहने वाली जगदम्बा के श्री चरणों में प्रणिपात होती हुई आप सबके आनंद मंगल की कामना करती हुई इस आनंद नामक संवत्सर के श्री गणेश के साथ ही नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।