टोक्यो। भारतीय रेसलर रवि दहिया ने फ्री स्टाइल कुश्ती में सेमीफाइनल जीत कर फाइनल में जगह बना ली है। उनकी इस उपलब्धि से देश की उम्मीदें बढ़ गई है। देश को उम्मीद के की रवि देश के लिए गोल्ड जीतकर ओलंपिक का नया इतिहास रचेंगे।

रवि दहिया हरियाणा के सोनीपत जिले के नाहरी गांव के रहने वाले हैं। वैसे तो यह गांव भी दूसरे गांवों की ही तरह है, लेकिन इसकी खासियत है कि यहां से 3-3 ओलंपिक के खिलाड़ी निकल चुके हैं। रवि से पहले यहां के महावीर सिंह ने 1980 के मास्को ओलंपिक और 1984 में लास एंजिल्स ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया था। साल 2021 में अमित दहिया ने लंदन ओलंपिक में भाग लिया था, अब यह तीसरा मौका है जब नोहारी गांव के बेटे ने ओलंपिक में ना सिर्फ भाग लिया बल्कि देश के लिए मैडल भी पक्का किया।

ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनके गांव में बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं की सुध सरकार लेगी। 15 हजार की आबादी वाले इस गांव में ना तो पानी की सुविधा है और ना ही बिजली का इंतजाम, बीमारी के इलाज के लिए केवल जानवरों का अस्पताल है।

पहलवान रवि दहिया की जीत के बाद ग्रामीणों को उम्मीद जागी है कि अब गांव में विकास के काम होंगे, गांव लोगों की नजरों में आएगा तो परियोजनाओं का संचालन शुरू होगा।

और पढ़ें: टूट गया भारतीय हॉकी में गोल्ड जीतने का सपना, सेमीफाइनल में महिला हॉकी टीम को अर्जेंटीना ने 2-1 से हराया

 पुरुषों की फ्रीस्टाइल कुश्ती स्पर्धा के 57 किग्रा वर्ग के सेमीफाइनल में रवि का सामना कजाखस्तान के सानायेव नूरीस्लाम से हुआ था। उन्हें हराकर रवि ने कुश्ती के फाइनल पहुंचने का रिकार्ड बनाया है। उनकी इस जीत के साथ ही भारत का एक और मेडल पक्का हो गया है। अब गुरुवार को कुश्ती का फाइनल मुकाबला होगा। इस स्पर्धा में रवि दहिया की भिडंत रूसी पहलवान जवुर यूगेव  से होने वाली है।

और पढ़ें: टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतने वाली तीसरी भारतीय महिला बनीं लवलीना, ब्रांस मेडल पर किया कब्जा

बुधवार को रोचक मुकाबले में चौथी वरीयता प्राप्त पहलवान रवि ने कजाकिस्तान के पहलवान को पटखनी देते हुए चित कर दिया। रवि ने नूरीस्लाम को 7-9 से हराया। पहले भारतीय पहलवान रवि 7-9 से पीछे चल रहे थे, लेकिन बाद में नूरीस्लाम चोटिल हो गए और खेल जारी नहीं रख सके। इसके बाद तरह भारतीय पहलवा रवि ने फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। बता दें कि रवि ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय पहलवान हैं। इनसे पहले सुशील कुमार 2012 में फाइनल में पहुंचे थे।