नई दिल्ली। मोदी सरकार के विनिवेश कार्यक्रम की कुछ बातों पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी CAG ने सख्त एतराज़ जाहिर किया है। संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में CAG ने कहा है कि सरकार जब अपनी एक कंपनी के शेयर अपनी ही दूसरी कंपनी को बेचती है, तो इससे किसी को कोई फायदा नहीं होता। सिर्फ इतना ही होता है कि सरकारी कंपनी के पास मौजूद संसाधन सीधे सरकार के पास आ जाते हैं। लेकिन वो संसाधन तो पहले भी सरकार के ही थे। इस प्रक्रिया से न तो कंपनी की मिल्कियत में बदलाव आता है और न ही संसाधनों की उपलब्धता में कोई सुधार होता है।

मोदी सरकार ऐसे करती है विनिवेश

साल 2018-19 के दौरान मोदी सरकार ने इस तरह के चार “रणनीतिक विनिवेश” किये थे। जिसके तहत रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन (REC) के शेयर पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) को, ड्रेजिंग कॉरपोरेशन के शेयर पोर्ट ट्रस्ट्स को, नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कंपनी (NPCC) के शेयर WAPCOS कॉरपोरेशन को और HSCC के शेयर NBCC को बेचे गए थे। इसके पिछले साल यानी 2017-18 में भी मोदी सरकार ने एक सरकारी ऑयल कंपनी HPCL को दूसरी सरकारी कंपनी ONGC को बेच दिया था।

विनिवेश कार्यक्रम की नाकामी छिपाने की कोशिश

दरअसल विनिवेश लक्ष्य हासिल करने का यह अजीबोगरीब तरीका मोदी सरकार अपने विनिवेश कार्यक्रम की नाकामी को छिपाने के लिए पिछले काफी समय से आजमा रही है, जिसकी आर्थिक विशेषज्ञ कड़ी आलोचना करते रहे हैं। अब CAG ने भी उन आलोचनाओं पर मुहर लगा दी है। जबकि कैबिनेट की मंज़ूरी के बावजूद ज्यादातर बीमार सरकारी कंपनियों का विनिवेश करने में सरकार नाकाम रही है।

SUUTI से मिली रकम के क्लासिफिकेशन पर भी एतराज

CAG ने स्पेसिफाइड अंडरटेकिंग ऑफ यूटीआई (SUUTI) के शेयरों की बिक्री से मिली रकम को विनिवेश में शामिल किए जाने पर भी एतराज़ जाहिर किया है। UTI के पास मौजूद शेयरों को रखने के लिए गठित SUUTI ने 2018-19 में 12,426 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर वो पैसा सरकार को दे दिया। जिसे सरकार ने पूंजीगत आय मानते हुए विनिवेश से मिली रकम में शामिल किया है। लेकिन CAG का कहना है कि केंद्र सरकार के खातों में SUUTI का जिक्र न तो एसेट के तौर पर है न तो लायबिलिटी में है। ऐसे में SUUTI के पास मौजूद शेयरों की बिक्री से प्राप्त रकम नॉन टैक्स रेवेन्यू है, पूंजीगत आय या विनिवेश से मिली राशि नहीं। CAG का कहना है कि इस आमदनी को गलत ढंग से दिखाने की वजह से उस साल सरकार की पूंजीगत आय बढ़ी हुई नज़र आती है।