कहने को तो एमपी की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने किसानों की सुविधा के के लिए मंडी अधिनियम में संशोधन किया है। फसल को घर से बेचने की की सुविधा दी गई है मगर बात इतनी नहीं है। किसानों की फसल तो खरीदी जा रही है, उन्‍हें पैसा नहीं दिया जा रहा है। आधा पैसा फसल बेचने पर और आधा कब मिलेगा? पता नहीं।

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कोराना लॉकडाउन 4.0 में एमपी सरकार ने जोन में बदलाव करते हुए नई गाइड लाइन जारी कर दी है मगर इससे किसानों को कोई सुविधा नहीं मिलने वाली है। समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी का दौर जारी है। किसान अपनी उपज लेकर मार्केटिंग सोसायटी तक पहुंच रहा है। वे उपज बेचकर कोरोना संकट के बीच घर के खर्च और अगली बुवाई की तैयारी करना चाहता है। वह फसल बेच कर सोचता है कि पैसा उसके खाते में आ जाएगा। मगर ऐसा हो नहीं रहा है। किसान को फसल बेचने के बाद 15 से अधिक दिन हो गए मगर खातों में पैसा नहीं आ रहा है। वे कोरोना से संक्रमित होने का खतरा उठा कर फसल बेचने जा रहे है। उनकी फसलों का सही मूल्य नहीं मिल रहा है। जो किसान पंजीयन के माध्यम से अपनी फसल बेच रहा है उसमें भी उसके आधे रुपये काटे जा रहे है जबकि उसके ऊपर कोई कर्ज नहीं है। सोसायटी वाले माल का आधा मूल्य दे रहे है तो मंडियों में लाई जा ही फसल को व्यापारी कम रेट में खरीद रहे हैं। यानि किसानों को नुकसान दोनों तरफ है। यदि वह सोसायटी में फसल बेचेगा तो पैसे समय पर नहीं मिलेंगे और व्‍यापारी को बेचेगा तो दाम ठीक नहीं मिलेंगे।

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आगर मालवा में परेशानी, दिग्विजय से गुहार

आगर मालवा की को आपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष फरमान लाला ने कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता दिग्विजय सिंह को पत्र लिख कर किसानों की समस्‍या से अवगत करवाया है। लालान ने लिखा है कि इस भाजपा की सरकार में हर जगह किसान का शोषण हो रहा है। आगर जिले में किसान बहुत परेशान है। फसल का दाम नहीं मिल रहा है। सोसायटी में फसल का पैसा रोका हुआ है। बिजली पर्याप्त मात्रा में नही मिलने से किसान को बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्‍होंने बताया कि कानड़ में रमेश वेयरहाउस पर ग्राम लाखाखेड़ी के लक्ष्‍मण सिंह ने 51 हजार का गेंहू बेचा था। उसे मात्र 26 हजार रुपए दिए गए। बाकी 25 हजार रोक लिए गए हैं। जबकि उस पर कोई कर्ज भी बकाया नहीं है। किसान काफी मायूस और परेशान है। लाला ने किसानों को शोषण और परेशानी से बचाने में मदद मांगी है।