भोपाल। मध्यप्रदेश के 13 जिलों में इस साल जुलाई महीने तक सामान्य से कम बारिश हुई है। नतीजतन किसानों के सामने खेतों में लगी फसलों को बचाने की चुनौती पैदा हो गयी है। प्रदेश में हालात ऐसी है कि खरीफ की फसल सूखने के कगार पर हैं। जिसकी वजह से किसानों की चिंताएं बढ़ गयी हैं। जहां प्रत्येक वर्ष जुलाई और अगस्त के महीनों में प्रदेश में सबसे अधिक बारिश होती थी वहीं इस साल जुलाई बीतने को है पर लगभग तेरह जिलों में सूखे की हालात है। प्रदेश किसान कांग्रेस के नेता केदार सिरोही ने किसानों के स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि अगले 10-12 दिनों में यदि बारिश नहीं हुई तो 40 फीसदी खरीफ फसलें बर्बाद हो जाएंगी। 

मध्यप्रदेश के किसानों को सामान्य से कम बारिश होने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। खेतों में लगी खरीफ फसल सूखने के कगार पर आ गयी हैं जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। प्रदेश के 13 जिलों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण किसानों के सामने संकट आ गया है। इन जिलों में बालाघाट, छतरपुर, दमोह, जबलपुर, कटनी, सागर, टीकमगढ़, अलीराजपुर, भिंड, ग्वालियर, मंदसौर, श्योपुर और शिवपुरी शामिल है। 

मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में कोई प्रभावी सिस्टम न होने के कारण प्रदेश में अच्छी बारिश होने की संभावनाएं बेहद कम हैं। विभाग ने 24 जुलाई के आसपास बंगाल की खाड़ी में ऊपरी हवाओं में चक्रवात बनने की संभावनाएं जताई है। अगर यह चक्रवात कम दबाव वाले क्षेत्रों में सक्रिय होकर आगे बढ़ेगा तो प्रदेश में अच्छी बारिश हो सकती है।

सरकार को फसल बचाने के बजाए सरकार बचाने की चिंता

मध्यप्रदेश किसान कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है। किसान कांग्रेस के अध्यक्ष केदार शंकर सिरोही ने कहा है कि सीएम शिवराज को किसानों की फसलें बचाने की चिंता नहीं है बल्कि किसानों द्वारा चुनी हुई सरकार गिराने के बाद उन्हें अपनी सरकार बचाने की चिंता है। उन्होंने कहा, 'यदि आने वाले 10-12 दिनों में बारिश नहीं होती है तो इन जिलों में उत्पादन में तकरीबन 30 से 40 फीसदी की कमी आएगी। यह किसानों के लिए दोहरी मार साबित होगी। पहले तो कोरोना महामारी के कारण उनके दूध और सब्जी जैसे व्यवसाय ठप पड़ गए उसके बाद फसल न होने से उनकी माली हालत पूरी तरह से चौपट हो जाएगी।' 

प्रदेश में है आनंद मंत्रालय, पर किसानों की चिंता के लिए कोई जगह नहीं

शिरोहि ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने लोगों को खुश रखने के लिए व चिंता दूर करने के लिए आनंद मंत्रालय का गठन कर दिया लेकिन उनकी कल्पना में किसानों की चिंता है ही नहीं। उन्होंने कहा, 'किसानों को रात में बुरे सपने आते हैं, साहूकार के कर्ज के सपने आते हैं, बच्चों की पढ़ाई के फीस के सपने आते हैं लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। नतीजतन मजबूर किसान आत्महत्या करने को विवश हो जाता है।' उन्होंने प्रदेश सरकार से किसानों को फसल बीमा व आने वाले रबी सीजन में मुफ्त खाद देने की मांग की है।