धार। अच्छी उपज होने के बावजूद मध्य प्रदेश के किसानों की परेशानियां खत्म नहीं हो रही है। यहां की मंडियों में लहसुन और प्याज का रेट लागत मूल्य से काफी कम मिल रहा है। मंडी में लहसुन बेचने पर लागत मूल्य तो दूर वाहन के भाड़े के पैसे भी नहीं निकल पा रहे हैं। स्थिति ये हो गई है कि कड़ी मेहनत से उपजाई फसल को अब किसान नष्ट करने पर मजबूर हो गए हैं। ऐसा ही एक वीडियो धार जिले से सामने आया है, जहां एक किसान ने ट्रक भर लहसुन पुल से नीचे फेंक दिया।
वायरल वीडियो धार जिले के बदनावर तहसील अंतर्गत ग्राम नागदा का है। इसमें देखा जा सकता है कि मंडियों में उचित रेट नहीं मिलने से परेशान किसान अपनी लहसुन की बोरीयां चामला नदी में फेंक रहा है। साथ ही वह अपनी पीड़ा भी जाहिर कर रहा है। किसान कहता है कि हमारे उपज के सिवाए सभी चीज के रेट बढ़ रहे हैं। कम्पनी दोगुना प्रोडक्शन करती है तो दोगुना लाभ मिलता है, लेकिन किसानों की फसल अच्छी हो जाए, ज्यादा हो जाए तो और नुकसान ही हो जाता है। कोई खरीदने वाला नहीं मिलता। हम फेंके नहीं तो क्या करें इसका। कोई खरीदने वाला नहीं। सरकार से कहना है कि हम किसानों को बचा लो।
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वीडियो सामने आने के बाद पीसीसी चीफ कमलनाथ ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। कमलनाथ ने कहा कि, 'शिवराज सरकार में यह है किसानो की स्थिति और किसानो की आय दोगुनी करने के दावे का सच। किसान को उसकी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है और वो निरंतर क़र्ज़ के दलदल में फँसता जा रहा है। लहसुन एक रुपये से भी कम में बिक रहा है, घाटे के कारण किसान इसे कभी आग के हवाले कर रहे है और कभी नदी में बहा रहे है। किसानो की आय दोगुनी तो नहीं हुई लेकिन उत्पादन लागत ज़रूर दोगुनी हो गयी है, खेती घाटे का धंधा बनती जा रही है।'
दरअसल, इस बार मध्य प्रदेश में लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। लेकिन मंडियों में लहसुन की कीमतों ने किसानों को परेशान कर रखा है। सबसे बड़े उत्पादक रतलाम, मंदसौर, नीमच, इंदौर की मंडियों में थोक में लहसुन 45 पैसे से 1 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है। दलोदा में एक किसान से 45 रुपये क्विंटल में लहसुन खरीदा गया यानी 45 पैसे प्रति किलो। लहसुन किसानों की ये स्थिति तब है जब दो दिन पहले ही प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दावा किया कि एमपी देश का पहला ऐसा राज्य है जो किसानों की आय दोगुनी करने में सफल रहा है।