MP में 45 पैसे किलो लहसुन बेचने को मजबूर किसान, कृषि मंत्री बोले- हम किसानों की आय दोगुनी करने में सफल
लागत मूल्य तो दूर ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं निकाल पा रहे किसान, बंपर पैदावार के बाद भी खत्म नहीं हो रही परेशानी, व्यापारी बढ़ने नहीं दे रहे रेट, औने पौने भाव में हो रही लहसुन और प्याज की खरीदी

भोपाल। अच्छी उपज होने के बावजूद मध्य प्रदेश के किसानों की परेशानियां खत्म नहीं हो रही है। यहां की मंडियों में लहसुन और प्याज का रेट लागत मूल्य से काफी कम मिल रहा है। जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि, प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का कहना है कि हम किसानों की आय दोगुना करने में सफल रहे।
दरअसल, इस बार मध्य प्रदेश में लहसुन का बंपर उत्पादन हुआ है। लेकिन मंडियों में लहसुन की कीमतों ने मालवा-निमाड़ सहित मध्यप्रदेश के किसानों को परेशान कर रखा है। सबसे बड़े उत्पादक रतलाम, मंदसौर, नीमच, इंदौर की मंडियों में थोक में लहसुन 45 पैसे से 1 रुपए प्रति किलो खरीदा जा रहा है। दलोदा में एक किसान से 45 रुपये क्विंटल में लहसुन खरीदा गया यानी 45 पैसे प्रति किलो। किसान ने बताया कि लागत मूल्य तो दूर ट्रांसपोर्ट का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है।
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एमपी के मनासा, मंदसौर, सैलाना, जावरा, सीहोर, सीतामऊ, शुजालपुर, मंदसौर, श्यामगढ़, रतलाम, महिदपुर, नीमच, नरसिंहगढ़, जावद, कालीपीपल, उज्जैन और इंदौर के मंडियों में भी 100 से लेकर 125 रुपए के आसपास लहसुन खरीदे गए हैं। मंडी में लहसुन का दाम इतना कम कर दिया जाएगा, इसकी तो किसी को उम्मीद ही नहीं थी। जबकि खुले बाजारों में लहसुन के भाव में कोई कमी नहीं आई है। स्पष्ट है कि किसानों के मेहनत का फायदा व्यापारी उठा रहे हैं।
लहसुन किसानों की ये स्थिति तब है जब दो दिन पहले ही प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दावा किया कि एमपी देश का पहला ऐसा राज्य है जो किसानों की आय दोगुनी करने में सफल रहा है। कृषि मंत्री के इस दावे को किसान नेता केदार सिरोही ने शर्मनाक बताया है। उन्होंने कहा कि ये दुर्भाग्य की बात है कि किसानों को सही दाम नहीं मिल रहा। किसानों ने जो लागत लगाई है वह भी नहीं निकल पा रही। लेकिन कृषि मंत्री उनका मखौल उड़ा रहे हैं।
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केदार सिरोही ने कहा कि, 'हम चाहते हैं कि सरकार लहसुन और प्याज का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करे और अन्य सब्जियों के दाम भी फिक्स करे। लहसुन का 5000 रुपये प्रति क्विंटल व प्याज का 2000 प्रति क्विंटल रेट फिक्स होना चाहिए। हमारी मांगे नहीं मानी गई तो किसान वोट की चोट करेंगे। शिवराज सरकार को 2023 में हार का सामना करना पड़ेगा। हम सरकार की किसान विरोधी नीतियों को किसानों के बीच लेकर जाएंगे।'