देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ग्रामीण भारत और उसकी अर्थव्यवस्था के बड़े जानकार पी साईनाथ ने कुछ कुछ सुझाव दिए हैं। और कुछ सवाल भी पूछे हैं। साईनाथ ने पूछा है कि पीएम मोदी MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्जमाफी के लिए कानून बनाने में हिचक क्यों रहे हैं? उन्होंने पीएम मोदी को ऐसे किसी कानून के प्रावधानों के बारे में अपनी तरफ से कुछ सुझाव भी दिए हैं।



पी साईनाथ ने ये सवाल और सुझाव अपने ट्विटर हैंडल पर कई ट्वीट्स के जरिये पेश किए हैं। साईनाथ का कहना है कि पीएम मोदी ने हमेशा कहा है कि वे MSP को कभी खत्म नहीं होने देंगे और 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी कर देंगे। बड़ी अच्छी बात है। तो भला अपने इन वादों को पक्का करने के लिए 5 पैराग्राफ का एक बिल लाने से उन्हें कौन रोक रहा है? सरकार के लाए पिछले तीन कृषि विधेयकों के उलट यह बिल तो सर्वसम्मति से पारित भी हो जाएगा।



 





 



साईनाथ के मुताबिक सरकार को ऐसे किसी बिल में इतना ही लिखना होगा, “किसानों को MSP की गारंटी दी जाती है (उस स्वामीनाथन फॉर्मूले के मुताबिक जिसका बीजेपी ने 2014 में वादा किया था)। किसी भी बड़े ट्रेडर, कंपनी या अन्य ‘नये खरीदारों’ को MSP से कम कीमत पर फसल खरीदने की इजाजत नहीं होगी।” हां, इसके साथ ही उन्हें फसलों की सरकारी खरीद की गारंटी भी देनी होगी, ताकि MSP सिर्फ एक भद्दा मज़ाक न बन जाए। साथ ही, बिल में किसानों की कर्जमाफी की घोषणा भी होनी चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो कर्ज में डूबे किसान की आमदनी 2022 तो क्या, 2032 तक भी दोगुनी नहीं हो पाएगी। MSP और किसानों की आय दोगुनी करने का वादा खुद प्रधानमंत्री ने किया है, फिर भला ऐसे बिल का विरोध कौन करेगा? सरकार को पिछले तीन बिल जबरन पास कराने पड़े, लेकिन MSP और कर्जमाफी की गारंटी देने वाला यह बिल बड़ी आसानी से पास हो जाएगा।



 



इस सिलसिले में किए गए अपने आखिरी ट्वीट में पी साईनाथ ने सरकार के रवैये पर करारा तंज़ करते हुए लिखा है, “यह सरकार जब कृषि पर बिल लाकर राज्यों के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण कर ही चुकी है, तो अब यह नया बिल लाने में क्या अड़चन हो सकती है? संघीय ढांचे और राज्यों के अधिकारों के प्रति सम्मान – ये कारण तो बिलकुल ही आड़े नहीं आ सकता। और जहां तक इसे लागू करने के लिए जरूरी धन का सवाल है, वो तो वैसे भी सिर्फ केंद्र सरकार के पास ही है।