कोरोना केस में तीसरे नंबर पर भारत के पहुंचने के साथ ही एक और बुरी खबर आई है कि कोरोन हवा के जरिए भी फैलता है। हालांकि अभी वैज्ञानिक इस बात पर एकमत नहीं है मगर 32 देशों करीब ढ़ाई सौ वैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि नोवेल कोरोना वायरस के छोटे-छोटे कण हवा में भी जिंदा रहते हैं और वे भी लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। इन वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से कहा है कि वह कोरोना को लेकर अपनी रिकमंडेशन में तुरंत सुधार करे।  

वैज्ञानिकों का यह निष्‍कर्ष अमेरिकी अखबार 'द न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स' में प्रकाशित हुआ है। मीडिया रिपोर्ट्सके अनुसार 'द न्‍यूयॉर्क ने कहा है कि 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन को लिखे खुले पत्र में कहा है कि सबूत बताते हैं कि हवा में मौजूद छोटे कण लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। इनडोर क्षेत्रों में शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करने के बावजूद संक्रमित व्यक्ति से अन्य लोग हवा के जरिए संक्रमित हो सकते हैं। इसलिए कहा गया है कि चारदीवारियों में बंद रहते हुए भी एन-95 मास्क पहनने की जरूरत है।

अपने शोध में वैज्ञानिकों ने कहा है कि छींकने, खांसने या जोर से बोलने पर संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकली छोटी सूक्ष्म बूंदें कार्यालयों, घरों, शॉपिंग मॉलों और अस्पतालों आदि में हवा में काफी देर तक रह जाती हैं। इन बूंदों के संपर्क में आने वाले लोग संक्रमित हो सकते हैं।

इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस के फैलने के तरीकों को साफ करते हुए कहा था कि इस वायरस का संक्रमण हवा से नहीं फैलता है। WHO ने तब साफ किया था कि यह खतरनाक वायरस सिर्फ थूक के कणों से ही फैलता है। ये कण कफ, छींक और बोलने से शरीर से बाहर निकलते हैं। थूक के कण इतने हल्के नहीं होते जो हवा के साथ यहां से वहां उड़ जाएं। वे बहुत जल्द ही जमीन पर गिर जाते हैं।

हालांकि, वैज्ञानिकों की इस राय पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।